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भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए । Explain the main characteristics of Indian Constitution

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए । 

( Explain the main characteristics of Indian Constitution ) 

   

अथवा 


भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए । 

( Describe the main characteristics of the Indian Constitution ) 


भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए । Explain the main characteristics of Indian Constitution
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए । Explain the main characteristics of Indian Constitution



भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना 

"हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर को प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने वाली बंधुता के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 जनवरी, 1949 ईस्वी को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मसमर्पित करते हैं ।" 


भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार, भारत एक प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है । 


भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :-  

संप्रभुता 

संप्रभुता शब्द का अर्थ है - सर्वोच्चता या प्रधानता । भारत किसी भी विदेशी और आंतरिक शक्ति के नियंत्रण से पूर्णतः मुक्तसंप्रभुतासंपन्न राष्ट्र है । यह सीधे चुनी हुई एक स्वतंत्र सरकार द्वारा शासित है तथा यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है । 


समाजवादी 

समाजवादी शब्द संविधान के सन् 1976 ईस्वी में हुए 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया । यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है । जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेद भाव किए बिना सभी को बराबरी का दर्जा और अवसर देता है । सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी । 

                                                          भारत ने एक मिश्रित आर्थिक मॉडल अपनाया है सरकार ने समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अस्पृश्यता उन्मूलन, जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, अधिकतम जोत सीमा अधिनियम, समान वेतन अधिनियम और बालश्रम निषेध अधिनियम आदि बनाएं हैं । 


धर्मनिरपेक्षता

भारतीय संविधान किसी भी एक धर्म का पोषक नहीं है । जिस प्रकार पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है तथा नेपाल एक हिंदू राष्ट्र । इस प्रकार भारत किसी विशेष धर्म को अंगीकृत करके नहीं चला है । प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म में विश्वास रखने की स्वतंत्रता है । सरकार धार्मिक आधार पर किसी के साथ पक्षपात नहीं कर सकती । वह किसी धर्म या संप्रदाय विशेष के धर्म स्थलों, प्रार्थना स्थलों या शिक्षा संस्थानों आदि को विशेष सुविधाएं नहीं देती भारतीय संविधान के लिए देश में प्रचलित सभी धर्म समान हैं ।  

             धर्म निरपेक्ष शब्द संविधान के सन् 1976 ईस्वी में हुए 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना ने जोड़ा गया । भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है । यह ना तो किसी धर्म को बढ़ावा देता है और ना ही किसी से भेदभाव करता है । यह सभी धर्मों का सम्मान व एक समान व्यवहार करता है । हर व्यक्ति को अपने पसंद की किसी भी धर्म के पालन और प्रचार का अधिकार है । सभी नागरिक, चाहे उनकी धार्मिक मान्यता कुछ भी हो, कनून की नजर में सब बराबर हैं । सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त प्राप्त स्कूलों में कोई धार्मिक अनुदेश लागू नहीं होता । 


लोकतांत्रिकता 

भारत एक स्वतंत्र देश है । किसी भी जगह से वोट देने की आजादी, संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जातियों को विशिष्ट सीटें आरक्षित की गई हैं । स्थानीय निकाय चुनावों में महिला उम्मीदवारों के लिए एक निश्चित अनुपात में सीटें आरक्षित की जाती हैं । भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए जिम्मेदार है। 


गणराज्य 

राजशाही, जिसमें राज्य का प्रमुख वंशानुगत आधार पर जीवन भर या पद त्याग करने के लिए नियुक्त किया जाता है, इसके विपरित एक गणतांत्रिक राष्ट्र के प्रमुख एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं । भारत के राष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए चुनावी प्रक्रिया द्वारा चुने जाते हैं । 


संविधान की सर्वोच्चता 

संविधान के उपबंध संघ तथा राज्य सरकारों पर समान रूप से बाध्य कारी होते हैं । केंद्र तथा राज्य शक्ति विभाजित करने वाले कुछ अनुच्छेद हैं :- 73, 165, 245, 246, 248 



संसद की सार्वभौमिकता 

भारतीय संविधान में संसद एक सार्वभौमिक संस्था है । उसे संघ सूची (97 विषय) और समवर्ती सूची (47 विषय) में विधि रचना का अधिकार दिया गया है । कुछ अवशिष्ट विषय भी संसद के अधीन हैं । मंत्री परिषद् अपने प्रशासकीय कार्य के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी है । इस प्रकार भारत में संसदीय शासन-प्रणाली की व्यवस्था की गई है, जिसमें मंत्रीमंडल प्रत्यक्ष रूप से लोकसभा के प्रति और अप्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी होता है । 
                                   भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली के शासन की व्यवस्था की गई है । यह शासन वेस्ट मिंस्टर इंग्लैंड पर आधारित है इस प्रणाली के अन्तर्गत यद्यपि राष्ट्रपति का विधिवत निर्वाचन होता है और वह राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है , तथापि वह राष्ट्र पर शासन नहीं करता 
वह राज्य का अध्यक्ष होता है इसके विपरित उसके मंत्रीमंडल का प्रधानमंत्री  सरकार का अध्यक्ष होता है । सभी मंत्री संसद के सदस्य होते हैं । यदि अपवाद स्वरूप किसी ऐसे व्यक्ति को मंत्री बना दिया जाता है, जो संसद का सदस्य नहीं होता  तो उसे 6 माह के अंदर संसद का सदस्य बनना पड़ता है । यदि 6 महीने में ऐसा नहीं हुआ तो उसे मंत्री पद छोड़ना पड़ता है । 


लिखित संविधान

भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा लिखा गया है। इसमें नीति निर्देशक तत्व, मूल अधिकार, केंद्रीय तथा राज्य शासन, नागरिकता, लोक सेवाएँ, निर्वाचन पद्धति, आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है। 

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