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Government of India Act 1919 in Hindi भारत सरकार अधिनियम 1919

Government of India Act 1919 in Hindi 

Government of India Act 1919 in Hindi
भारत सरकार अधिनियम 1919 ईस्वी


1919 ईस्वी के भारतीय अधिनियम की व्याख्या कीजिए 

1919 ईस्वी के मान्टेगयू चेम्सफोर्ड अधिनियम के मुख्य प्रावधानों की व्याख्या कीजिए और उनके महत्व का मूल्यांकन कीजिए । 


भारत सरकार अधिनियम 1919 

माण्टेग्यू चेम्सफोर्ड अधिनियम (सुधार) अर्थात् भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा भारत में प्रांतीय द्वैध शासन प्रणाली की स्थापना की गयी । यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमे गवर्नर अपने द्वारा मनोनीत पार्षदों के माध्यम से प्रशासन करता था और हस्तांतरित विषयों का प्रशासन निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता था। 

                        प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन और उसके सहयोगी देशों द्वारा प्रचार किया गया कि वे अपनी राष्ट्रीय स्वतंत्रता का युद्ध लड़ रहे हैं। "युद्ध राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है।" युद्ध काल में भारतीयों के द्वारा इंग्लैंड को भारी सहायता दी गयी थी और युद्ध के दौरान क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने अद्भुत वीरता का परिचय देकर महान गौरव अर्जित किया । ब्रिटिश प्रधानमंत्री लायड जार्ज ने कहा था - यह लड़ाई राष्ट्रीय स्वतंत्रता और लोकतंत्र के उद्देश्य के लिए लड़ी जा रही है और आत्म निर्णय के सिद्धान्त को पूर्वी देशों पर लागू किया जाएगा। 

  इस मनोस्थिति वातावरण में भविष्य में वैधानिक सुधार की अनेक योजनाओं पर विचार किया जाने लगा। सर्वप्रथम 1916 ईस्वी में कांग्रेस लीग सुधार योजना तैयार की गयी । 

      माण्टेग्यू की घोषणा - 20 अगस्त, 1917 महायुद्ध के समय से ही निरन्तर बदलती हुई परिस्थितियों ने ब्रिटिश सरकार को इस बात के लिए विवश कर दिया गया कि उसके द्वारा भारतीय प्रशासनिक वयवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की घोषणा की जाए।

(1) ब्रिटिश शासन का उद्देश्य भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना। 

(2) उत्तरदायी शासन की स्थापना क्रमिक विकास द्वारा ही सम्भव है। 

(3)  ब्रिटिश सरकार द्वारा इस दिशा में आगे बढ़ने का कार्य भारतीय जनता द्वारा इस सम्बन्ध में दिए गये सहयोग और उत्तरदायी के परिचय के आधार पर करेगी। 

अधिनियम के प्रावधान

(1) भारत में प्रांतीय द्वैध शासन प्रणाली की स्थापना की गयी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमे मनोनीत पार्षदों और निर्वाचित सदस्यों द्वारा शासन किया जाता था। गवर्नर अभी भी प्रांतीय प्रशासन का मुखिया बना रहा।

(2) प्रांतीय विषयों को दो भागों में बांटा गया है - आरक्षित और हस्तांतरित। 

(3) विधायिकाओं का विस्तार किया गया और उसके 70% सदस्यों का निर्वाचन होना जरूरी किया। प्रथम निर्वाचन मण्डलों का वर्गीय और सांप्रदायिक आधार पर विस्तार किया गया। 

भारतीय शासन अधिनियम 1919 

एम श्रीनिवास के अनुसार, यह नौकरशाही शासन की पद्धति का प्रथम उल्लंघन और प्रतिनिध्यात्मक शासन का वास्तविक प्रारंभ था। 

भारतीय शासन अधिनियम 1919 के प्रमुख लक्षण 

(1) प्रांतों में आंशिक रूप से उत्तरदायी शासन।

(2) प्रांतीय कार्यारिणी परिषद् में अधिक भारतीय को संयुक्त करना।

(3) प्रांतीय विधान परिषदों का पुनर्गठन।

(4) केंद्र में अनुत्तरदायी शासन।

(5) केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद् में अधिक भारतीयों की नियुक्ति।

(6) द्वि सदनात्मक केंद्रीय विधानसभा का निर्णय।

(7) भारतीय शासन पर गृह सरकार के नियंत्रण में कमी।

(8) भारत परिषद् में परिवर्तन।

(9) केंद्रीकरण से विकेंद्रीकरण।

(10) सक्ति विभाजन।

(11) निर्वाचन।

(12) मताधिकार।

(13) नरेश मण्डल की स्थापना।

(14) संक्रमणकालीन उपाय। 

(15) महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान किया।

निष्कर्स - यह अधिनियम भारतीयों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने में असफल रहा। यह वास्तव में भारत का आर्थिक शोषण करने और उसे लंबे समय तक गुलाम बनाये रखने के उद्देश्य से लाया गया।


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