SAARC Kya hai ?
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SAARC Kya hai ? |
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन— दक्षेस (सार्क) South Asian Association of Regional Co-operation (SAARC)
Saarc Ka full form kya hai ?
दक्षेस (सार्क) का पूरा नाम—‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (South Asian Association of Regional Co-operation–SAARC) है।
‘सार्क’ के गठन का प्रस्ताव सर्वप्रथम बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया-उर-रहमान ने सन् 1980 में रखा था। 7-8 दिसंबर, 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में दक्षिण एशिया के सात देशों के राष्ट्राध्यक्षों के एक सम्मेलन में ‘सार्क’ की स्थापना की गई। ये सात देश हैं—भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान तथा मालदीव। यह दक्षिण एशिया के सात पड़ोसी देशों की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय सहयोग की पहली शुरुआत थी। 12-13 नवंबर, 2005 को ढाका में संपन्न सार्क के 13वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान को इस संगठन का आठवाँ सदस्य देश बनाने का फैसला लिया गया। अप्रैल 2007 में नई दिल्ली में संपन्न ‘सार्क’ के 14वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवाँ सदस्य देश बना लिया गया।
इस प्रकार इस संगठन के सदस्य देशों की कुल संख्या आठ हो गई।
सार्क के सदस्य (Members OF SAARC)
1. भारत
2. पाकिस्तान
3. बांग्लादेश
4. श्रीलंका
5. नेपाल
6. भूटान
7. मालदीव
8. अफगानिस्तान
सार्क के पर्यवेक्षक (SAARC Observer)
1. चीन
2. जापान
3. दक्षिण कोरिया
4. ईरान
5. सं.रा. अमेरिका
6. मॉरीशस
7. यूरोपीय संघ (2005)
8. ऑस्ट्रेलिया (2008)
9. म्याँमार (2008)
सार्क का चार्टर (SAARC Charter)
‘सार्क’ के चार्टर में कुल 10 धाराएँ / अनुच्छेद हैं। इनमें ‘सार्क’ के उद्देश्यों, सिद्धांतों, संस्थाओं तथा वित्तीय व्यवस्थाओं को परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार हैं—
सार्क के उद्देश्य—
‘सार्क ’ के चार्टर के अनुच्छेद 1 के अनुसार इसके प्रमुख उद्देश्य हैं—
1. दक्षिण एशियाई राष्ट्रों की सामूहिक आत्म-निर्भरता में वृद्धि करना।
2. दक्षिण एशियाई क्षेत्र की जनता के कल्याण एवं उनके जीवन-स्तर में सुधार करना।
3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में सक्रिय सहयोग एवं पारस्परिक सहायता में वृद्धि करना।
4. आपसी विश्वास, सूझ-बूझ तथा एक-दूसरे की समस्याओं का मूल्यांकन करना।
5. दक्षिण एशिया क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना।
6. अन्य विकासशील देशों (Developing Countries) के साथ सहयोग में वृद्धि करना।
7. सामान्य हित के मामलों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग करना।
सार्क के मुख्य सिद्धांत :-
सार्क के चार्टर के अनुच्छेद-2 के अनुसार ‘सार्क’ के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं— 1. ‘सार्क’ के ढाँचे के अंतर्गत सहयोग, समानता, क्षेत्रीय अखंडता, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना तथा आपसी लाभ के सिद्धांतों का आदर करना।
सार्क की संस्थाएँ
सम्मेलन —सातवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—10-11 अप्रैल, 1993
स्थान—ढाका (बांग्लादेश)
सम्मेलन —आठवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—2-4 मई, 1995
स्थान—नई दिल्ली (भारत)
सम्मेलन —नौवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—12-14 मई, 1997
स्थान—माले (मालदीव)
सम्मेलन —दसवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—29-30 जुलाई, 1998
स्थान—कोलंबो (श्रीलंका)
सम्मेलन —ग्यारहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—5-6 जनवरी, 2002
स्थान—काठमांडू (नेपाल)
सम्मेलन —बारहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—5-6 जनवरी, 2004
स्थान—इस्लामाबाद (पाकिस्तान)
सम्मेलन —तेरहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—12-13 नवंबर, 2005
स्थान—ढाका (बांग्लादेश)
सम्मेलन —चौदहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—3-4 अप्रैल, 2007
स्थान—नई दिल्ली (भारत)
सम्मेलन —पंद्र्रहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—2-3 अगस्त, 2008
स्थान—कोलंबो (श्रीलंका)
सम्मेलन —सोलहवाँ शिखर सम्मेलन
वर्ष—अप्रैल 2010
स्थान—थिंपू (भूटान)
2. मंत्रिपरिषद् : चार्टर के अनुच्छेद-4 के अनुसार, मंत्रिपरिषद् सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक परिषद् है। इसकी बैठक 6 मास में एक बार होती है, परंतु इसकी विशेष बैठकें आवश्यकतानुसार कभी भी हो सकती हैं। इसके कार्यों में शामिल हैं—‘सार्क’ की नीति निर्धारित करना, सामान्य हित के मुद्दों के बारे में निर्णय करना, सहयोग के नए क्षेत्र खोजना आदि।
3. स्थायी समिति : चार्टर अनुच्छेद-5 के अनुसार, स्थायी समिति सदस्य देशों के सचिवों की समिति है। इसकी बैठकें वर्ष में एक बार होना अनिवार्य है। इस समिति के प्रमुख कार्य हैं—सहयोग के कार्यक्रमों को मॉनिटर करना, अंतर-क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ निर्धारित करना, अध्ययन के आधार पर सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करना।
4. तकनीकी समितियाँ : चार्टर के अनुच्छेद-6 में तकनीकी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं। इनमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह अपने-अपने क्षेत्र में कार्यक्रम को लागू करने, उनमें समन्वय पैदा करने तथा उन्हें मॉनिटर करने हेतु उत्तरदायी हैं।
5. कार्यकारी समिति : चार्टर के अनुच्छेद-7 में कार्यकारी समिति की व्यवस्था की गई है। इसकी स्थापना स्थायी समिति द्वारा की जाती है।
6. सचिवालय : अनुच्छेद-8 में ‘सार्क’ के सचिवालय का प्रावधान है। सचिवालय की स्थापना दूसरे ‘सार्क शिखर सम्मेलन’ (बंगलौर) के बाद 16 जनवरी, 1987 को की गई थी। महासचिव का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है तथा महासचिव का पद सदस्यों में बारी-बारी से घूमता रहता है। ‘सार्क’ सचिवालय काठमांडू (नेपाल) में स्थित है। सार्क के सदस्य देशों का अंशदान
‘सार्क’ गतिविधियों, कार्यक्रमों तथा सचिवालय के कामकाज के लिए होनेवाले व्यय में सदस्य देशों का अंशदान निम्न प्रकार है—
भारत —32 प्रतिशत
पाकिस्तान —25 प्रतिशत
बांग्लादेश—11 प्रतिशत
श्रीलंका —11 प्रतिशत
नेपाल—11 प्रतिशत
भूटान —5 प्रतिशत
मालदीव —5 प्रतिशत
अफगानिस्तान अभी निर्धारित नहीं। —0
दक्षिण एशिया वरीयता व्यापार समझौता (साप्टा)(South Asian Preferential Trading Arrangement–SAPTA)
‘दक्षिण एशिया वरीयता व्यापार समझौता’–‘साप्टा’ (SAPTA) की स्थापना वाले मसौदे पर 11 अप्रैल, 1993 को ढाका में संपन्न ‘सार्क’ के 7वें शिखर सम्मेलन में ‘सार्क’ के सभी 7 सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे। बाद में 7 दिसंबर, 1995 से ‘साप्टा करार’ लागू हुआ। साप्टा के तहत ‘सार्क’ राष्ट्रों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग के संवर्द्धन के प्रयोजन से टैरिफ (Tariff) रियायतों के आदान-प्रदान हेतु ढाँचा प्रदान किया गया। ‘साप्टा’ का क्षेत्र विस्तार टैरिफ के क्षेत्र में पैरा-टैरिफ (Para-Tariff), नॉन टैरिफ (Non-Tariff) तथा सीधे व्यापार उपायों तक फैला है। ‘साप्टा’ के लागू होने के बाद से सदस्य राष्ट्रों के बीच टैरिफ-रियायतों के आदान-प्रदान हेतु अब तक तीन दौर की वार्त्ताएँ आयोजित हो चुकी हैं।
दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा)(South Asian Free Trade Area–SAFTA)
‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’–‘साफ्टा’ (SAFTA) की संधि के प्रारूप पर 6 जनवरी, 2004 को इसलामाबाद में संपन्न सार्क के 12वें शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किए गए थे। संधि पर ‘सार्क’ के सात देशों—भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, एवं मालदीव ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के प्रारूप के अंतर्गत ‘साफ्टा’ को 1 जनवरी, 2006 से लागू किया गया। ‘साफ्टा’ का मूल उद्देश्य इसके सभी सदस्य राष्ट्रों के बीच आपसी व्यापार में प्रशुल्क स्तर को सन् 2016 तक 5 प्रतिशत से कम करना है। दक्षिण एशिया क्षेत्र की बड़ी और विकसित अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत कम विकसित देशों को कई तरह की रियायतें भी देगा, जिनमें सीमा शुल्क में कमी के कारण उन्हें होने वाले नुकसान की भरपाई भी शामिल है। ‘साफ्टा’ के तहत सीमा शुल्क में कटौती के लिए भारत ने दो अलग-अलग सूचियाँ तैयार की हैं। इनमें से पहली सूची में 884 वस्तुएँ शामिल हैं, जिन्हें पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों के संदर्भ में तैयार किया गया है। दूसरी सूची में 763 वस्तुएँ हैं। इस सूची में सीमा शुल्क में कटौती के लिए बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और नेपाल को रखा गया है। उल्लेखनीय है कि ‘सार्क’ की संरचना के अनुसार भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका को ‘अपेक्षाकृत विकसित देश’ (N.L.D.C) की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, मालदीव, भूटान और नेपाल को ‘अल्पविकसित देशों’ (L.D.C.) की श्रेणी में रखा गया है। दोनों श्रेणियों के लिए अलग-अलग शुल्क संरचना तय की गई है। ‘साफ्टा’ (SAFTA) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि सार्क के सभी सदस्य देश एक-दूसरे को व्यापार संबंधी विशेष सुविधाएँ प्रदान करेंगे। भारत ने इसके तहत पाकिस्तान को ‘सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र’ (M.F.N.) का दरजा दे दिया है, जबकि पाकिस्तान ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। पाकिस्तान द्विपक्षीय मुद्दों (Bilateral Issues) के कारण को ‘सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र’ का दरजा न देकर ‘साफ्टा’ की राह में अवरोधक बना हुआ है, जबकि ‘साफ्टा/सार्क’ द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने का मंच नहीं है। विश्व व्यापार में सार्क देशों के आपसी व्यापार का हिस्सा सन् 2005 तक 3 प्रतिशत के करीब था। विश्व की लगभग 20 प्रतिशत आबादी के बावजूद दक्षिण एशियाई राष्ट्र आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए हैं, तो इसलिए कि उत्तरी देश आपस में 60 प्रतिशत से अधिक व्यापार करते हैं। उल्लेखनीय है कि अंतरक्षेत्रीय व्यापार पूर्वी एशिया में लगभग 38.4 प्रतिशत, उत्तरी अमेरिका में लगभग 37.3 प्रतिशत और यूरोपीय संघ (E.U.) में लगभग 63.4 प्रतिशत है, लेकिन सार्क देशों का अंतरक्षेत्रीय व्यापार विश्व व्यापार का सिर्फ 3.4 प्रतिशत है।
15वाँ सार्क शिखर सम्मेलन (2008)
‘सार्क’ का 15वाँ शिखर सम्मेलन कोलंबो (श्रीलंका) में 2-3 अगस्त, 2008 को संपन्न हुआ। यह सम्मेलन इस बात के लिए भी जाना जाएगा कि—आतंकवाद पर पहली बार ‘सार्क’ के सभी सदस्य राष्ट्र आम राय बनाने में सफल हुए। सम्मेलन में ‘आपराधिक मामलों में पारस्परिक विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए एक संधि’ (Convention for mutual legal assistance in criminal matters) स्वीकार की गई। जिन अन्य समझौतों पर सदस्य राष्ट्रों ने हस्ताक्षर किए, उनमें ‘क्षेत्रीय मानक संगठन’ के गठन व ‘साफ्टा’ (SAFTA) में अफगानिस्तान को शामिल करने के समझौते शामिल हैं। इसके अलावा 300 करोड़ डॉलर ‘सार्क विकास निधि’ (SAARC–Development Fund–S.D.F.) के लिए नियमावली संबंधी चार्टर भी सम्मेलन में जारी किया गया। इस शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया तथा म्याँमार को ‘सार्क’ में पर्यवेक्षक (Observer) का दरजा प्रदान किया गया।
सार्क (SAARC) : महत्त्वपूर्ण तथ्य
• सर्वप्रथम सार्क के गठन का प्रस्ताव बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल-जिया-उर रहमान ने सन् 1980 में रखा था।
• 7-8 दिसंबर, 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में संपन्न दक्षिण एशिया के सात देशों के राष्ट्राध्यक्षों के एक सम्मेलन में सार्क की स्थापना हुई थी।
• वर्तमान में सार्क के सदस्य देशों की कुल संख्या 8 है। सार्क का आठवाँ सदस्य (2007 में) अफगानिस्तान को बनाया गया।
• मालदीव को छोड़कर सार्क के सात अन्य देश भारतीय उपमहाद्वीप के हिस्से हैं।
• सन् 2005 में चीन, जापान, द. कोरिया, ईरान, मॉरीशस सहित अमेरिका को सार्क में पर्यवेक्षक (observer) का दरजा दिया गया।
• सन् 2008 में ऑस्ट्रेलिया तथा म्याँमार को भी सार्क में पर्यवेक्षक का दरजा प्रदान किया गया ।
• ‘यूरोपीय संघ’ (E.U.) को सार्क में पर्यवेक्षक का दरजा प्राप्त है।
• दिसंबर 2004 में संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) द्वारा सार्क को एक संगठन के रूप में पर्यवेक्षक का दरजा प्रदान किया गया। • सार्क संगठन के सदस्य देशों में लगभग 140 करोड़ लोग रहते हैं। इस दृष्टि से सार्क दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्यावाला संगठन है।
• सार्क के चार्टर (Charter) में कुल 10 अनुच्छेद हैं।
• सार्क का पहला शिखर सम्मेलन 7-8 दिसंबर, 1985 को ढाका (बांग्लादेश) में संपन्न हुआ।
• भारत में अब तक सार्क के तीन शिखर सम्मेलन संपन्न हो चुके हैं। इनमें दूसरा शिखर सम्मेलन (1986 में) बंगलौर में, आठवाँ व चौदहवाँ सम्मेलन (1995 व 2007 में ) नई दिल्ली में हुआ।
• 11 अप्रैल 1993 को ढाका में संपन्न सार्क के 7वें शिखर सम्मेलन में ‘साप्टा’ (SAPTA) की स्थापनावाले प्रारूप पर सार्क के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। 7 दिसंबर, 1995 को ‘साप्टा’ लागू हुआ।
• 6 जनवरी, 2004 को इसलामाबाद में संपन्न सार्क के 12वें शिखर सम्मेलन में ‘साफ्टा’ की संधि के प्रारूप पर सार्क के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए।
• ‘साफ्टा’ 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ।
• 2-3 अगस्त, 2008 को सार्क का पंद्र्रहवाँ शिखर सम्मेलन कोलंबो (श्रीलंका) में संपन्न हुआ।
• अब्दुल गयूम (मालदीव) ही एकमात्र ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्होंने सार्क के अब तक के आयोजित सभी शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है।
• सार्क की बैठकों में द्विपक्षीय मुद्दों या विवादास्पद मामलों को शामिल नहीं किया जा सकता।
• सार्क के चार्टर (अनुच्छेद 4) के अनुसार ‘मंत्रिपरिषद्’ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक परिषद् है।
• सार्क के सचिवालय की स्थापना 16 जनवरी, 1987 को द्वितीय शिखर सम्मेलन के बाद की गई। सार्क सचिवालय काठमांडू (नेपाल) में स्थित है।
• सार्क सचिवालय द्वारा संगठन के पाँच केंद्र्र स्थापित किए गए हैं। इनमें हैं—कृषि एवं मौसम विज्ञान शोध केंद्र्र, ढाका (बांग्लादेश में); सार्क शोध केंद्र्र, नई दिल्ली (भारत); तटीय प्रबंधन केंद्र्र, माले (मालदीव); सार्क सांस्कृतिक केंद्र्र, कोलंबो (श्रीलंका) तथा सार्क सूचना केंद्र्र काठमांडू (नेपाल)।
• 2 जनवरी, 2003 को ‘दक्षिण एशिया C.E.O. फोरम’ का गठन सार्क के सभी सात सदस्यों द्वारा किया गया।
• सार्क (SAARC) ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ (South-South Co-operation) का एक मंच है।
• प्रतिवर्ष 8 दिसंबर को ‘सार्क दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
• सार्क के कामकाज हेतु होने वाले व्यय में भारत का अंशदान (32%) सर्वाधिक है।
• सार्क की संरचना के अनुसार भारत सहित पाकिस्तान तथा श्रीलंका को ‘अपेक्षाकृत विकसित देश’ (N.L.D.C.) की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, मालदीव, भूटान और नेपाल को ‘अल्पविकसित देशों’ (L.D.C.) की श्रेणी में रखा गया है। • सार्क देशों का अंतरक्षेत्रीय व्यापार विश्व व्यापार का मात्र 3.4 प्रतिशत है।
• सार्क के पाँच सदस्य देश (भारत सहित श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान तथा बांग्लादेश) ‘एशिया सहयोग संवाद’ (Asia Co-operation Dialogue – A.C.D.) के भी सदस्य हैं।
• सार्क के सभी सदस्य राष्ट्रों द्वारा सन् 2006-15 के दशक को ‘गरीबी उन्मूलन दशक’ घोषित किया गया है।
• सार्क महासचिव (General Secretary) का पद सदस्य राष्ट्रों में अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में प्रदान किया जाता है। सार्क सचिवालय के महासचिव का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है।
• 1 मार्च, 2008 को सार्क के महासचिव भारत के शीलकांत शर्मा बने॒। उनका कार्यकाल 28 फरवरी, 2011 को समाप्त होने के बाद 1 मार्च, 2011 को इस पद पर पहली महिला मालदीव की फातीमान्य धीयान सईद को महासचिव नियुक्त किया गया। सार्क का मुख्यालय (सचिवालय) काठमांडू (नेपाल) में है।
4 Comments
Thanks 🤗 Uniexpro
ReplyDeleteInformative post 👏👏
ReplyDelete♥️ Keep Reading, Keep Shining keep Growing
Delete♥️ Keep Reading, Keep Shining keep Growing
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