वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों का वर्णन
वारेन हेस्टिंग्स सन् 1772 ई० में बंगाल का गवर्नर बना और सन् 1774 ई० में वह भारत का पहला गवर्नर-जनरल नियुक्त हुआ। इस समय उसके सामने धन की कमी, द्वध शासन के दुष्परिणाम, रोग, अकाल, चोरी डकैती आदि समस्याओं के साथ ही साथ मराठों, हैदर अली और निजाम की भी समस्याएँ थीं। अतः बड़े उत्साह तथ साहस के साथ उसने इन समस्याओं को सुलझाने के लिए निम्नलिखित सुधार किये
(1) शासन सम्बन्धी सुधार-
हेस्टिग्स ने शासन-सम्बन्धी निम्नलिखित सुधार किये-
(1) बंगाल के दोहरे प्रबन्ध को समाप्त करके शासन का सम्पूर्ण काम कम्पनी के हाथ में ले लिया। इस प्रकार बंगाल के शासन-सम्बन्धी सब अधिकार छिन गये। अब वह कम्पनी का पेन्शनर मात्र रह गया,
(2) राजकोष को मुर्शिदाबाद से कलकत्ता ले जाया गया,
(3) भारतीय कलक्टरों के स्थान पर अंग्रेज कलक्टर नियुक्त किये गये। इनका काम मालगुजारी एकत्रित करना था,
(4) नायब दीवान पदच्युत कर दिये गये और मालगुजारी की वसूली सीधे कम्पनी अपने एजेन्टों द्वारा करने लगी।
(2) आर्थिक सुधार-
हेस्टिंग्स ने निम्नलिखित आर्थिक सुधार किये –
(1)वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल के नवाब की पेन्शन बत्तीस लाख से घटाकर सोलह लाख कर दी,
(2) मराठों से संधि कर लेने के कारण मुगल सम्राट शाहआलम की छब्दीस लाख । रुपये की पेंशन बन्द कर दी,
(3) कड़ा तथा इलाहाबाद के जिले शाहआलम से वापस लेकर अवध के नवाब को 50 लाख रुपये में बेच दिये ।
(4) कम्पनी के कर्मचारियों की पेन्शन में कमी कर दी,
5) अवध के नवाब शजाउद्दाला से सन् 1771 ई० में बनारस का। संधि की जिसके द्वारा वारेन हेस्टिग्स ने नवाब का इस शर्त पर सहायता देने का वचन दिया कि वह बनारस का जिला तथा चालीस लाख रुपया कम्पनी को देगा।।
(3) लगान सम्बन्धी सुधार-
हेस्टिंग्स ने लगान सम्बन्धी निम्नलिखित सुधार किये-
(1) उसने भूमि के लगान का पंचवर्षीय प्रबन्ध किया। सबसे अधिक रुपया देने वालों को भूमि 5 वर्ष के ठेके पर दी गई। परन्तु यह व्यवस्था दोषपूर्ण साबित हुई। इसलिए सन् 1777 ई० में पंचवर्षीय व्यवस्था लागू की गई।
(2) लगान का सम्पूर्ण कार्य गवर्नर-जनरल ने अपने हाथ में ले लिया तथा कलकत्ता को राजधानी बनाकर एक ‘राजस्व समिति’ की स्थापना की ।
(3) माल विभाग के लिए प्रत्येक जिले में एक अंग्रेज कलक्टर नियुक्त किया गया । उसकी सहायता के लिए एक भारतीय दीवान भी होता था। उसे दीवानी मुकदमों के निर्णय का अधिकार दिया ।
(4) लगान की दर निश्चित कर। दी गई। महाजनों को सख्त मनाही कर दी गई कि किसानों को ऋण न दें।।
(4) व्यापार सम्बन्धी सुधार-
वारेन हेस्टिग्स ने व्यापार सम्बन्धी निम्नलिखित सुधार किये-
(1) हेस्टिग्स ने कलकत्ता, हुगली, मुर्शिदाबाद, पटना, ढाका को छोड़कर अन्य सभी चुगी चौकियों को समाप्त कर दिया ।
(2) उसने चुंगी की दर भारतीय और अंग्रेज सबके लिए प्रतिशत (नमक, पान और तम्बाकू को छोड़कर शेष सभी वस्तुओं पर निश्चित कर दी। इससे व्यापार को बढ़ावा मिला और भ्रष्टाचार भी रुक गया ।
(3) नमक तथा अफीम के व्यापार को सरकारी नियन्त्रण में ले लिया गया।
(4) व्यापार की उन्नति के लिए कलकत्ता में एक बैंक की स्थापना की गई।
(5) निश्चित मूल्य व आकार के सिक्क। ढालने के लिए कलकत्ता में एक सरकारी टकसाल खोली गई।
(5) न्याय सम्बन्धी सुधार-
हेस्टिंग्स ने न्याय सम्बन्धी निम्नलिखित सुधार किये-
(1) प्रत्येक जिले में एक दीवानी तथा एक फौजदारी अदालत की स्थापना की गई।
(2) जमीदारों के न्याय-सम्बन्धी अधिकार समाप्त कर दिये गये ।
(3) दीवानी तथा फौजदारी अदालतों के कार्य क्षेत्र बाँट दिये गये । दीवानी अदालत के अन्तर्गत सम्पत्ति, उत्तराधिकार, विवाह, ऋण, ब्याज आदि विषय आते थे और फौजदारी अदालत में हत्या, डकैती, चोरी, झगड़े आदि के मुकदमों की सुनवाई होती थी ।
(4) कलकत्ता में सदर दीवानी तथा सदर निजामत नामक अपील को दो अदालतें स्थापित की गई । सदर दीवानी अपीलें सुनती थी तथा सदर निजामत में फौजदारी सम्बन्धी अपीलें पेश होती थीं।
(5) हिन्दू तथा मुसलमानों के कानूनों का संकलन करवाया जिससे निष्पक्ष निर्णय किया जा सके।
(6) अन्य सुधार-
उपरोक्त सुधारों के अतिरिक्त हेस्टिंग्स ने निम्नलिखित सुधार भी किये–
(1) पुलिस विभाग का संगठन किया और प्रत्येक जिले को एक पुलिस पदाधिकारी के अधीन रक्खा ।
(2) भारतीय भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए उसने सन् 1781 ई० में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की।
निष्कर्ष
वारेन हेस्टिंग्स ने अपने सुधारों से कम्पनी की स्थिति अत्यन्त सुदृढ़ कर दी । इन सधारों से हेस्टिग्स की योग्यता तथा कार्यक्षमता स्पष्ट प्रतीत होती है सर विलियम हन्टर के शब्दों में-‘वारेन हेस्टिग्स ने उस नागरिक शासन प्रणाली की नींव डाली थी जिस पर कार्नवालिस ने एक विशाल भवन का निर्माण किया ।”
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