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अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय International Criminal Court (ICC)

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय International Criminal Court (ICC)

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय International Criminal Court (ICC)
International Criminal Court | Uniexpro.in 

(1) प्रस्तावना :- 


अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ (I.C.C.) की स्थापना 1 जुलाई, 2002 को जनसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों में सुनवाई के लिए की गई। न्यायालय की स्थापना से संबंधित नियमों एवं कानूनों का प्रारूप तैयार करने के लिए 15 जून से 17 जुलाई के मध्य रोम (इटली) में एक सम्मेलन (Rome Statute) आयोजित किया गया था और इसकी स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र के 60 सदस्यों की मंजूरी आवश्यक रखी गई थी। ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ ने हेग (नीदरलैंड) में विधिवत् रूप से 11 मार्च, 2003 से कार्य करना प्रारंभ किया। इस न्यायालय के न्यायाधीशों की कुल संख्या 18 रखी गई है, जिनकी नियुक्ति 9 वर्ष के लिए की जाती है। न्यायालय के कुल 18 न्यायाधीशों में से एक-तिहाई (6)का चुनाव प्रति तीन वर्ष पश्चात् होना निर्धारित है। न्यायालय के प्रारंभ में कुल 18 न्यायाधीश जो चुने गए, उनमें 7 महिला न्यायाधीश हैं। 
 
 न्यायालय के प्रथम अध्यक्ष (मुख्य न्यायाधीश) कनाडा के फिलिप्प किर्श हैं। न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है, लेकिन यह विश्व में कहीं भी सुनवाई कर सकता है। 

 यह न्यायालय निम्नलिखित प्रकार के अपराधों से जुड़े विवादों की सुनवाई कर सकता है- 


(A) जनसंहार :-

  व्यक्तियों, समूहों, कट्टरपंथियों या सरकारों द्वारा किए जानेवाले जनसंहार से जुड़े अपराध


(B) युद्ध अपराध :-

 युद्ध के दौरान निर्दोष नागरिकों की हत्या करने, उनके अंग-भंग करने, उन्हें देश निकाला देने, शारीरिक तथा मानसिक रूप से नागरिकों को प्रताड़ित करने जैसे अपराध। 

(C) मानवता के विरुद्ध अपराध :-

 नागरिक समूह के विरुद्ध सोचा-समझा आक्रमण । 

(D) अपराध :-

 आक्रमण भी संज्ञेय अपराध ही माना जाएगा, यदि इसकी परिभाषा पर बहस के बाद बहुमत द्वारा इसे आक्रमण के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की स्थापना रवांडा, पूर्वी तिमोर व पूर्वी यूगोस्लाविया के लिए पूर्व में गठित अस्थायी न्यायाधिकरणों (International tribunals) की तर्ज पर की गई है, किंतु यह स्थायी रूप से कार्यरत रहेगा। वर्तमान में यह न्यायालय पाँच आरोपों की जाँच-पड़ताल कर रहा है। इनमें उत्तरी युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, दारफूर तथा कोसाबो नरसंहार आदि। नवंबर 2009 तक इस न्यायालय के सदस्यों की कुल संख्या 110 थी।

(2) ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ : महत्त्वपूर्ण तथ्य 


• सर्वप्रथम सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ‘अंतरराष्ट्रीय कानून आयोग’ (International Law Commission) को निर्देश दिया था कि वह ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ (I.C.C.) बनाए जाने के लिए कानूनी दस्तावेज तैयार करे। 

• अंतरराष्ट्रीय विधि आयोग द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ की स्थापना से संबंधित 15 जून से 17 जुलाई, 1998 के मध्य में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रोम (इटली) में आयोजित किया गया।

• ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ की स्थापना 1 जुलाई, 2002 को ‘द हेग’ (नीदरलैंड) में की गई। 

• इस न्यायालय ने नीदरलैंड की राजधानी हेग में विधिवत् रूप से 11 मार्च, 2003 से कार्य करना प्रारंभ किया। 

• ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ की स्थापना से काफी समय पूर्व ‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय’ की स्थापना भी (1946) संयुक्त राष्ट्र के न्यायिक अंग के रूप में हो चुकी थी। 

• ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ में कार्यवाही से अमेरिकी शांति सैनिकों को सन् 2003 व 2004 के लिए संरक्षण प्रदान किया गया, जिसके चलते अमेरिका पीसकीपर्स (Peacekeepers) के विरुद्ध कोई मुकदमा इस अवधि के दौरान दर्ज नहीं कराया जा सकता। 

• कुछ सैद्धांतिक आपत्तियों के चलते अमेरिका व भारत ने इस न्यायालय की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। 

• इस न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 18 है, जिनकी नियुक्ति 9 वर्ष के लिए की जाती है। 

• न्यायालय के प्रथम अध्यक्ष (मुख्य न्यायाधीश) कनाडा के फिलिप्प किर्श हैं।

• न्यायालय का मुख्यालय तो हेग (नीदरलैंड) में है, लेकिन यह विश्व में कहीं भी सुनवाई कर सकता है। 

• यह न्यायालय किसी मामले में सुनवाई तभी कर सकता है, जब संबंधित राष्ट्र मामले की सुनवाई के लिए अक्षम हो या फिर वह दोषी को सजा देने में सक्षम न हो। 

• ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ की स्थापना रवांडा, पूर्वी तिमोर व पूर्वी यूगोस्लाविया के लिए पूर्व में गठित अस्थायी न्यायाधिकरणों (Tribunals) की तर्ज पर की गई है, किंतु यह स्थायी रूप से कार्यरत रहेगा। 

• युद्ध अपराधों के कई मामलों में संयुक्त राष्ट्र ‘युद्ध अपराध न्यायाधिकरण’ के समक्ष मुकदमों का सामना कर रहे यूगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसरिक (Slobodan Miloseric) की 11 मार्च, 2006 को हेग में मृत्यु हुई।

 • वर्तमान में यह न्यायालय पाँच आरोपों की जाँच-पड़ताल कर रहा है— उत्तरी युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, दारफूर तथा कोसाबो नरसंहार आदि। 

• नवंबर 2009 तक इस न्यायालय के सदस्यों की कुल संख्या 110 थी। ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय’ का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है।


(3) परिचय 

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय विश्व का प्रथम स्थायी अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय है। यह रोम संविधि (The Rome Statute) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा शासित किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय सामान्यतः नर-संहार, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध और आक्रमण का अपराध जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की जाँच करता है। 
  • ICC का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्याय के माध्यम से अपराधों के लिये ज़िम्मेदार लोगों को दंडित करना साथ ही, इन अपराधों को फिर से घटित होने से रोकने मे मदद करना है।
  • भारत, चीन एवं अमेरिका रोम संविधि के पक्षकार देश नहीं है। 
  • हाल ही में मलेशिया ने रोम संविधि को अपनाया है और ICC का 124वाँ सदस्य देश बना है।

(4) इतिहास 

  • 17 जुलाई, 1998 को 120 देशों द्वारा रोम संविधि को अपनाया गया था। 
  • 1 जुलाई, 2002 को आधिकारिक तौर पर ICC की स्थापना की गई। इस प्रकार रोम संविधि 60 राज्यों के अनुसमर्थन के बाद प्रभावी हुई। चूँकि इसमें कोई पूर्वव्यापी अधिकार क्षेत्र नहीं है, अतः ICC इस तिथि से या उसके बाद किये गए अपराधों की जाँच करने में सक्षम है।
  • वर्ष 2010 के संशोधनों के बाद रोम संविधि न्यायालय में पीड़ितों के प्रतिनिधित्व के लिये मानक तय कर सुरक्षा के अधिकार और निष्पक्ष परीक्षण को सुनिश्चित किया गया।
  • वर्तमान में 'रोम संविधि' ICC के कानूनी मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है, जो प्रक्रिया और साक्ष्य के नियम एवं अपराध के स्वरूप को स्पष्ट करती है। 

(5) तथ्य और आँकड़े

  • वर्तमान में ICC में लगभग 100 देशों राज्यों के 900 से अधिक कर्मचारी हैं।
  • इसकी 6 आधिकारिक भाषाएँ हैं: अंग्रेज़ी, फ्रेंच, अरबी, चीनी, रूसी और स्पेनिश। इसके अतिरिक्त इसकी 2 कार्यकारी भाषाएँ अंग्रेज़ी और फ्रेंच हैं।
  • ICC के 6 क्षेत्रीय कार्यालय हैं: 
    • किंशासा और बुनिया/बनिआ (Bunia) (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य)
    • कंपाला (युगांडा)
    • बुंगी/बंगुई (Bangui) (मध्य अफ्रीकी गणराज्य)
    • नैरोबी (केन्या), 
    • आबिदजान (आइवरी कोस्ट )
  • ICC का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में अवस्थित है। 
  • (6) संगठन की संरचना

    पक्षकार देशों द्वारा न्यायाधीशों और अभियोजक के चुनाव कराने एवं ICC के बजट को मंज़ूरी दिये जाने के माध्यम से न्यायालय का प्रबंधन और निरीक्षण किया जाता है।

    • ICC के चार अंग
      • अध्यक्षता (प्रेसीडेंसी): यह सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों का संचालन करता है और न्यायायिक मामलों जैसे न्यायाधीशों को देशों की स्थितियों और मामलों को सौपने एवं रजिस्ट्री के प्रशासनिक कार्य के निरीक्षण में सहयोग करता है। 
      • न्यायायिक प्रभाग: यह (इसमें 3 डिवीज़नों में 18 न्यायाधीश हैं) पूर्व-परीक्षण, परीक्षण और अपील तथा न्यायिक कार्यवाही का संचालन करता है।
      • अभियोजक का कार्यालय: यह अभियोजन, प्रारंभिक परीक्षण एवं जाँच संबंधी कार्य करता है।
      • रजिस्ट्री: यह गैर-न्यायायिक गतिविधियों जैसे- सुरक्षा, किसी मुद्दे की व्याख्या, आउटरीच, रक्षा और पीड़ितों के वकीलों का समर्थन आदि का संचालन करती है। 
    • ICC के ट्रस्ट फंड द्वारा पीड़ितों की सहायता, उनके समर्थन एवं पुनर्मूल्यांकन की सुविधा प्रदान की जाती है तथा ICC के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा इस कार्य में सहयोग प्रदान किया जाता है। 
    • ICC द्वारा हिरासत में लिये गए लोगों को सुरक्षित रखने के लिये हिरासत केंद्रों का उपयोग किया जाता है। रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) हिरासत केंद्रों का निरीक्षण प्राधिकरण है। 

    (7) न्यायालय का अधिकार क्षेत्र और कार्य

    • रोम संविधि ICC को चार मुख्य अपराधों पर क्षेत्राधिकार प्रदान करती है। 
      • नर-संहार का अपराध
      • मानवता के विरुद्ध अपराध
      • युद्ध अपराध
      • आक्रमकता का अपराध (Crime of Aggression)
    • 1 जुलाई, 2002 को या उसके बाद किये गए युद्ध अपराध या मानवता के विरुद्ध अपराध, नर-संहार जैसी स्थितियों में न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग कर सकता है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) द्वारा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर VII के तहत अपनाए गए एक प्रस्ताव के अनुसार अपराधों हेतु ICC को संदर्भित किया जाता है।
    • 17 जुलाई, 2018 तक सुरक्षा परिषद आक्रामकता जैसे मामलों के संदर्भ में न्यायालय को संदर्भित कर सकती है। सुरक्षा परिषद द्वारा यह कार्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत किया जाता है। 
    • ICC संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संगठन नहीं है लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करता है।
    • जब कोई स्थिति न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर होती है तब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ICC को क्षेत्राधिकार प्रदान करने वाली स्थिति का उल्लेख कर सकती है। इस प्रकार की शक्ति का प्रयोग दारफुर (सूडान) और लीबिया की स्थितियों में किया गया है।

    (8) कानूनी कार्यवाही से जुड़े अन्य तथ्य  

    • ICC 18 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों पर मुकदमें में परीक्षण नहीं कर सकती है। ऐसी स्थिति में अभियोक्ता; पर्याप्त सबूतों, क्षेत्राधिकार, शक्ति संपूरकता एवं न्याय हित जैसे मामलों में विचार करके प्रारंभिक परीक्षण अवश्य कर सकता है। 
    • अभियोक्ता जब जाँच कर रहा होता है तब वह जाँच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों को जमा कर सकता है और इन साक्ष्यों का खुलासा भी कर सकता है। 
    • अभियुक्त को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक अपराध सिद्ध न हो। साक्ष्यों को उपलब्ध कराने का दायित्व अभियोजक पक्ष में निहित होता है। 
    • प्रक्रिया के सभी चरणों (पूर्व-परीक्षण, परीक्षण और अपील) के दौरान अभियुक्त के पास किसी भी भाषा में सूचना प्राप्ति का अधिकार होता है। इस प्रकार ICC प्रक्रियाएँ अनुवादकों और व्याख्याकार टीमों के माध्यम से कई भाषाओं में संचालित की जाती हैं। 
    • न्यायाधीश, परीक्षण से पहले अभियुक्त की गिरफ्तारी का वारंट जारी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी मामलें को परीक्षण हेतु भेजे जाने से पहले पर्याप्त सबूत मौजूद हो। 
    • जब किसी मामले को परीक्षण के लिये प्रतिबद्ध किया जाता है तो उसी समय से प्रतिवादी को एक अभियुक्त के तौर पर उल्लेखित किया जाता है और आरोपों की पुष्टि की जाती है। 
    • परीक्षण में न्यायाधीश द्वारा अभियोजक, बचाव और पीड़ित पक्ष के वकील द्वारा प्रस्तुत सबूतों पर विचार किया जाता है इसके बाद उसे क्षतिपूर्ति के रूप में सज़ा और फैसले पर पुनर्विचार का अधिकार प्रदान किया जाता है। 
    • यदि कोई मामला अपराध के फैसले के बिना रोक दिया जाता है तो उस मामले, में यदि अभियोजक नए साक्ष्यों को प्रस्तुत करता है तो, को पुनः शुरू किया जा सकता है। 

(9) सीमाएँ

  • ICC के पास स्वयं का पुलिस बल या प्रवर्तन निकाय नहीं है। इस प्रकार न्यायिक संस्थान के रूप में यह सहायता करने के लिये (विशेष तौर पर गिरफ्तारी करने के लिये, हेग स्थित ICC के हिरासत केंद्र में गिरफ्तार व्यक्तियों को स्थानांतरित करने के लिये, संदिग्धों की संपत्तियों को फ्रिज करने और सज़ाओं के क्रियान्वयन हेतु) दुनिया भर के देशों के सहयोग पर निर्भर करता है।
  • ICC के अभियोजक और न्यायाधीशों के अधिकारों में पर्याप्त जाँच एवं शक्ति का अभाव है। 
  • ICC को पश्चिमी साम्राज्यवाद का एक नीति उपकरण माना जाता है क्योंकि इस पर कमज़ोर देशों द्वारा शक्तिशाली देशों के पक्ष में निर्णय देने के आरोप लगाए जाते हैं। 
    • 2020 में, यूएसए ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिकों और उसके सहयोगियों द्वारा संभावित युद्ध अपराधों की जाँच में शामिल अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों को अधिकृत किया।
      • संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिका के आदेश को गंभीरता से लिया।
      • यूरोपीय संघ ने अमेरिका के फैसले को गंभीर चिंता का विषय बताया।
      • अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ ह्यूमन राइट्स वॉच ने देखा है कि युद्ध अपराध जाँचकर्ताओं को दंडित करके, संयुक्त राज्य अमेरिका खुले तौर पर उन लोगों का पक्ष ले रहा है जो मानवाधिकारों के हनन को करते हैं।
  • ICC द्वारा मृत्यु की सज़ा नहीं सुनाई जा सकती है। यह अधिकतम 30 साल तक के कारावास की सज़ा दे सकता है या जब मामलों की गंभीरता न्यायसंगत हो तो ऐसे स्थिति में उम्रकैद की सज़ा दे सकता है। 
  • ICC न्यायालय के पास कोई भी पूर्व प्रभावी क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल 1 जुलाई, 2002 के बाद हुए अपराधों से ही निपट सकता है क्योंकि इसी तिथि को रोम संविधि 60 राज्यों के अनुसमर्थन के बाद प्रभावी हुई।
  • जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद किसी मामले का उल्लेख करता है या ऐसे देश के नागरिक द्वारा जिसने इसकी पुष्टि की है, तब ICC के पास केवल उक्त देश के क्षेत्र में हुए अपराधों के लिये क्षेत्राधिकार है।
  • विलंब से होने वाली प्रक्रियात्मक एवं मौलिक खामियाँ न्यायालय की प्रभावशीलता पर प्रश्न खड़ा करती हैं। यह मानव संसाधनों एवं धन की कमी से भी संकटग्रस्त है। 

(10) ICC और ICJ में भिन्नता:

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के विपरीत, ICC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा नहीं है, जिसमें UN-ICC संबंध एक अलग समझौते द्वारा शासित होते हैं।
  • ICJ, जो संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है, मुख्य रूप से राष्ट्रों के बीच विवादों को सुनता है। इसे 1945 में स्थापित किया गया था और हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। न्यायाधीश दलवीर भंडारी (भारत) न्यायालय के सदस्य हैं।
    • दूसरी ओर, ICC व्यक्तियों पर मुकदमा चलाती है- इसका अधिकार किसी सदस्य राज्य में या ऐसे राज्य के नागरिक द्वारा किये गए अपराधों तक फैला हुआ है।

(11) भारत और ICC 

भारत ने निम्नलिखित कारणों के चलते रोम संविधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है:

  • राज्य की संप्रभुता
  • राष्ट्रीय हित
  • साक्ष्य संग्रह में कठिनाई
  • निष्पक्ष अभियोजकों का अभाव 
  • अपराध की परिभाषा में अस्पष्टता 

(12) आगे की राह 

  • देशों को सक्रिय रूप से ICC के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिये एवं अंतर्राष्ट्रीय न्याय और ICC के जनादेश की पूर्ति के लिये काम करने वाले मानवाधिकार समूहों का समर्थन करना चाहिये।
  • ICC को अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों को शामिल करके एवं जाँच और अभियोजन को मज़बूत करके अपने क्षेत्राधिकार को व्यापक बनाने की आवश्यकता है।
  • ICC की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय न्याय सामाजिक संघर्षों के केंद्र में है और यह दीर्घकालिक शांति, स्थिरता एवं न्यायसंगत विकास में योगदान कर सकता है।
  • ICC सक्रिय रूप से दुनिया भर में सेमिनारों और सम्मेलनों के माध्यम से सभी क्षेत्रों में सहयोग का निर्माण करने के पक्ष में कार्य करना चाहिये।

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