कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधान | Indian Fectory Act 1948
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Indian Fectory Act 1948 |
इस अधिनियम पर निम्नलिखित प्रावधान शामिल है।
1 ऐसा कोई भी संस्थान या कारखाना जिसमें 10 या इससे अधिक श्रमिक कार्य करते है। और जिसमें उत्पादन बिजली की सहायता से हो।
2 ऐसा कोई भी संस्था या कारखाना जिसमें 10 या इससे अधिक श्रमिक कार्य कर रहे हो और जिसमें उत्पादन बिजली की सहायता से न हो।
3 ऐसा कोई भी कार्यशाला जिसमें कारीगरों की संख्या 10 से कम हो और जब ऐसी कार्यशाला को राज्य सरकार ने अधिनियम की धारा 85 के अंतर्गत कारखाना घोषित किया हो। क्योंकि सरकार को यह अधिकार है कि वह अधिनियम या उसकी किसी धारा को पूरी तरह से इस अधिनियम के अंतर्गत ला सकते है।
कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधान –
कारखाना अधिनियम 1948 के प्रावधान मे निम्न को शामिल किया गया है।
1 स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
2 कार्य के घण्टे
3 युवा पुरुष और महिलाओं का सेवायोजन
4 मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
5 व्यावसायिक बीमारियां
6 प्रशासन
7 अधिनियम को लागू करना
8 अपराधों के लिए दण्ड
1 स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
(क) स्वास्थ्य (Health): इसके अंतर्गत फैक्ट्री में काम करने वालों की सेहत का पूरा ख्याल रखना चाहिए। सबसे पहले फैक्ट्री की जगह साफ सुथरी होनी चाहिए।फैक्ट्री मे सफाई का उचित प्रबंध होना चाहिए। इसके अलावा 4 महीने में एक बार फैक्ट्री की दीवारों पर सफेदी होनी चाहिए । यदि फैक्ट्री मे जगह काम है तो कम जगह पर अधिक वर्कर्स को नहीं लगाना चाहिए। रोशनी, बिजली और पीने के पानी का उचित प्रबंध होना चाहिए। साफ सुथरा शौचालय का उचित प्रबंध होना चाहिए। रोशन दानों का उचित प्रबंध होना चाहिए।
(ख) सुरक्षा (Safety) : फैक्ट्री में सुरक्षा का उचित प्रबंध होना चाहिए। जहा बड़ी–बड़ी मशीनों की फेंसिंग की जानी चाहिए। बड़ी–बड़ी मशीनों पर छोटे बच्चों को नहीं लगाना चाहिए। आग बुझाने का पूरा इंतजाम होना चाहिए।
हानि से बचाव करने की क्रिया और व्यवस्था को कहते हैं। यह व्यक्ति, स्थान, वस्तु, निर्माण, निवास, देश, संगठन या ऐसी किसी भी अन्य चीज़ के सन्दर्भ में प्रयोग हो सकती है जिसे नुकसान पहुँचाया जा सकता हो
(ग) कल्याण (Welfare): इसके अंतर्गत मजदूरों की सुविधाओं का ध्यान रखना आवश्यक है। उनके लिए कैंटीन व्यवस्था, उठने बैठने लिए के उचित स्थान, प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था, पानी पीने तथा नहाने धोने का उचित प्रबन्ध होना चाहिए तथा जहां महिलाएं वर्कर्स है वहां उनके बच्चों को रखने व खोलने का प्रबंध होना चाहिए।
2 कार्य के घण्टे (Hours of work)
इस एक्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति 48 घंटे से अधिक प्रति सप्ताह कार्य नहीं करना चाहिए। तथा 9 घंटे प्रतिदिन से ज्यादा कार्य नही कर सकता। कोई स्त्री मज़दूर 5 A.M. से पहले तथा 7 P.M. के बाद कार्य पर नहीं आ सकती।
3 युवा पुरुष और महिलाओं का सेवायोजन
इस अधिनियम के अंतर्गत 14 वर्ष से कम के किसी भी बालक को काम पर नहीं लगाया जा सकता।और जिसकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो ऐसे आयु के बालक अर्थात 15 से 18 वर्ष तक के किसी भी किशोर को तब तक काम पर नहीं लगाया जा सकता जब तक डॉक्टर द्वारा प्रमाणित स्वास्थ्य प्रमाण पत्र नहीं मिल जाता। कुछ खतरनाक व्यवसायों में बालक और महिलाओं को लगाना बिल्कुल मना है।
4 मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
कारखाना अधिनियम में मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश की सुविधा का होना आवश्यक है। जिसमें प्रत्येक श्रमिक जिसने कारखाने में एक कैलेंडर वर्ष में 240 दिन की अवधि के लिए कार्य किया है। तो वह अगले कैलेंडर वर्ष में मजदूरी सहित अवकाश पाने का अधिकारी होगा। यदि श्रमिक वयस्क है तो अवकाश की दर प्रत्येक 20 दिन में कार्य करने पर एक दिन का अवकाश ले सकता है। यदि श्रमिक बालक है तो प्रत्येक 5 दिन के कार्य करने पर एक दिन निश्चित है। इस अवकाश में साप्ताहिक विश्राम के दिन और कोई भी छुट्टी का दिन शामिल नहीं होता है। यदि किसी श्रमिक को 240 दिन से पूर्व ही बर्खास्त या सेवामुक्त कर दिया जाता है तो उनके लिए आनुपातिक अवकाश के लिए प्रावधान है।
5 व्यावसायिक बीमारिया
व्यावसायिक बीमारिया (hazardous process) ऐसी प्रक्रिया या ऐसा कार्य जिसका विवरण अनुसूची में दिया गया है। जिसमे जहां जब तक की विशेष सावधनी न रखी जाय उसमें प्रवेश किये गये कच्चे माल अथवा मध्यवर्ती अथवा तैयार माल, उपउत्पादन, उसका कूड़ा करकट या बहिस्राव जो
(I) कार्य करने वाले लोगो के स्वास्थ्य को खास क्षति पहुंचती है अथवा उससे संबंध रखती हो अथवा
(II) जिसके परिणाम स्वरूप साधारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। उसका प्रावधान आवश्यक है।
6 प्रशासन (Administration)
फैक्ट्री एक्ट 1948 के अनुसार प्रशासन राज्य सरकारों के हाथ में सौंप दिया गया है । जिन्हे यह शक्ति प्रदान की गई है कि वे निरीक्षकों की नियुक्ति कर सकती है। उनसे फैक्ट्री संबंधित विवरण मांग सकती है और इस बात का ध्यान रख सकती कि निर्धारित रजिस्टर समुचित रूप में रखे जाये। राज्य सरकारों को इस अधिनियम का इसके अनुसार प्रशासन करने के लिए अनेक प्रावधान में नियम बनाने की शक्ति भी प्रदान की गई है।
जहां इस अधिनियम में स्वास्थ्यप्रद और स्वच्छ कार्य व्यवस्था, कर्मचारियों की सुरक्षा, दुर्घटना से बचाव के लिए सावधानी, काम अवकाश विश्राम के घंटे निर्धारित करने, मजदूरी का शीघ्र भुगतान करने, अवकाश संबंधी बहुत से प्रावधान किये गये है। इसके अतिरिक्त महिलाओं और बालकों के नियोजन पर भी ध्यान दिया गया है। नियोजन एवं कर्मचारी अधिनियम के प्रावधानों की अनुपालन करते रहे इसके लिए उनके उल्लंघन की स्थिति में दण्ड उपबंध भी रखा गया।
7 अधिनियम को लागू करना
इस अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार निर्धारित योग्यता रखने वाले व्यक्तियों को नियुक्त करती है । जैसे निरीक्षक, प्रमाणिक करने वाले सर्जन और प्रत्येक अधिकारी की स्थिति सीमाएं पहले से निर्धारित होती है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिला न्यायाधीश अपने जिले का इंस्पेक्टर होता है। अधिनियम को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए इंस्पेक्टर के पास ये अधिकार सीमित होते है जैसे फैक्ट्री में प्रवेश कर सकता है, कार्यस्थल पर ही पूछताछ कर सकता है दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की मांग कर सकता है।
8 अपराधों के लिए दण्ड
1 दो वर्ष की अवधि तक कारावास अथवा
2 एक लाख रुपये तक का जुर्माना
3 उपर्युक्त सीमाओं के अधीन रहते हुए जुर्माना और कारावास साथ साथ दण्ड।
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