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विशेष न्यायालय से आप क्या समझते हैं ? विशेष न्यायालय की प्रक्रियाओं, अधिकारों एवं शक्तियों की व्याख्या कीजिए। rights and powers of special courts hindi

 

विशेष न्यायालय से आप क्या समझते हैं ? विशेष न्यायालय की प्रक्रियाओं, अधिकारों एवं शक्तियों की व्याख्या कीजिए। rights and powers of special courts hindi
विशेष न्यायालय से आप क्या समझते हैं ? विशेष न्यायालय की प्रक्रियाओं, अधिकारों एवं शक्तियों की व्याख्या कीजिए। rights and powers of special courts hindi 



According to Indian Company Act 2013 


विशेष न्यायालय से आप क्या समझते हैं ? विशेष न्यायालय की प्रक्रियाओं, अधिकारों एवं शक्तियों की व्याख्या कीजिए

What do you understand by the Special Courts? Explain the procedure. rights and powers of special courts


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रूपरेखा:-

क्रमांक

(1) 





 प्रस्तावना:-

विशेष न्यायालय क्या है? (धारा 435)

(2) 


विशेष न्यायालय की स्थापना:- (धारा 435)

(3) 


विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया:-



(4) 


विशेष न्यायालयों के अधिकार:-

(5) 


विशेष न्यायालयों की शक्तियाँ:- 

(6) 

निष्कर्ष:-

           


(1) प्रस्तावना:-

विशेष न्यायालय क्या है? (धारा 435)

भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के तहत विशेष न्यायालयों (Special Courts) का गठन किया गया है ताकि कंपनियों से संबंधित अपराधों का शीघ्र निपटारा किया जा सके । ये न्यायालय कंपनी मामलों में विशेषज्ञता रखते हैं और उनके द्वारा किए गए मामलों का निपटारा तेजी से होता है।


(2) विशेष न्यायालय की स्थापना:- (धारा 435)

भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 435 के तहत विशेष न्यायालयों का गठन किया गया है। इन न्यायालयों का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। इन न्यायालयों के लिए यह आवश्यक है कि इनके न्यायाधीश ऐसे हों जिनके पास एक सत्र न्यायालय या उससे उच्चतर न्यायालय में सेवा करने का अनुभव हो।


(3) विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया:-

1. मामले का पंजीकरण: कंपनी मामलों से संबंधित अपराधों की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद, उन्हें विशेष न्यायालय में भेजा जाता है।

2. नोटिस जारी करना: आरोपी को नोटिस भेजा जाता है और उसे सुनवाई के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।

3. सुनवाई: सुनवाई के दौरान, दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। 

4. सबूत और गवाही: सबूत और गवाहियों को ध्यान से सुना और परखा जाता है।

5. निर्णय: सभी सबूतों और गवाहियों को देखने के बाद, विशेष न्यायालय अपना निर्णय सुनाता है।


(4) विशेष न्यायालयों के अधिकार:-

1. मामलों की सुनवाई का अधिकार: विशेष न्यायालयों को कंपनी कानून के तहत सभी प्रकार के मामलों की सुनवाई का अधिकार है

2. तलाशी और जब्ती का अधिकारविशेष न्यायालय के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी स्थान की तलाशी ले सकता है और जरूरी दस्तावेज जब्त कर सकता है।

3. गिरफ्तारी का अधिकार: विशेष न्यायालय आरोपी को गिरफ्तार कर सकता है यदि वह पाता है कि आरोपी दोषी है और उसे सजा हो सकती है।

4. दंड देने का अधिकारविशेष न्यायालय दोषी पाए गए व्यक्ति को उपयुक्त सजा दे सकता है, जिसमें जेल की सजा और जुर्माना दोनों शामिल हो सकते हैं।


(5) विशेष न्यायालयों की शक्तियाँ:- 

1. तेजी से निपटारा: विशेष न्यायालयों को मामलों का तेजी से निपटारा करने की शक्ति प्राप्त है ताकि लंबित मामलों की संख्या कम की जा सके।

2. विशेषज्ञताकंपनी मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले न्यायाधीश इन न्यायालयों में नियुक्त किए जाते हैं, जिससे कि निर्णय अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण हो।

3. न्यायिक समीक्षा: विशेष न्यायालय के फैसलों की समीक्षा उच्च न्यायालय द्वारा की जा सकती है, जिससे कि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

4. अपील का अधिकार: अगर किसी पक्ष को विशेष न्यायालय का फैसला स्वीकार नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।


(6) निष्कर्ष:-

विशेष न्यायालयों का मुख्य उद्देश्य कंपनी कानून से संबंधित मामलों का शीघ्र और न्यायपूर्ण निपटारा करना है। इन न्यायालयों की स्थापना से कंपनी मामलों की जटिलताएं कम होती हैं और न्याय मिलने में देरी नहीं होतीविशेष न्यायालयों के अधिकार और शक्तियाँ सुनिश्चित करती हैं कि कंपनी कानून का सख्ती से पालन हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता को तुरंत सुधारा जा सके






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