अंश पूंजी से आप क्या समझते है? अंश पूंजी कितने प्रकार की होती है? वर्णन कीजिए ।
What do you understand by share capital? What are the types of share capital? Explain
अंश पूंजी से आप क्या समझते है? अंश पूंजी कितने प्रकार की होती है? वर्णन कीजिए ।
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अंश पूंजी से आप क्या समझते है? अंश पूंजी कितने प्रकार की होती है? वर्णन कीजिए । What do you understand by share capital? What are the types of share capital? Explain |
According to Indian Company Law 2013
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What do you understand by share capital? What are the types of share capital? Explain
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अंश पूंजी क्या है?
अंश पूंजी (Share Capital) से तात्पर्य कंपनी द्वारा उठाई गई धनराशि से है जो उसके शेयरधारकों द्वारा प्रदान की जाती है। जब कोई कंपनी अपना व्यापार आरंभ करती है या उसका विस्तार करती है, तो उसे पूंजी की आवश्यकता होती है। यह पूंजी कंपनी अपने शेयरों को बेचकर जुटाती है। ये शेयर खरीदारों को कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी प्रदान करते हैं, जिससे वे कंपनी के लाभ और हानि में हिस्सेदार बनते हैं।
अंश पूंजी के प्रकार:-
अंश पूंजी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
1. साधारण अंश पूंजी (Equity Share Capital:
- परिभाषा: साधारण अंश या इक्विटी अंश वे अंश होते हैं जिन्हें खरीदकर शेयरधारक कंपनी में हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं। इन अंशधारकों का कंपनी की सामान्य बैठकों में मतदान का अधिकार होता है और वे कंपनी के मुनाफे में हिस्सेदारी के हकदार होते हैं।
- विशेषताएँ:
- इक्विटी अंशधारकों का कंपनी के लाभ और हानि में हिस्सा होता है।
- इक्विटी अंशधारकों को लाभांश (Dividend) का भुगतान कंपनी के लाभ पर निर्भर करता है।
- इक्विटी अंशधारकों को दिवालियापन (Bankruptcy) की स्थिति में सबसे अंत में भुगतान मिलता है, पहले अन्य देनदारों को भुगतान किया जाता है।
2. अधिमान्य अंश पूंजी (Preference Share Capital):
- परिभाषा: अधिमान्य अंश वे अंश होते हैं जिन्हें खरीदकर अंशधारकों को निश्चित दर पर लाभांश प्राप्त करने का अधिकार होता है। इन अंशधारकों को कंपनी के सामान्य अंशधारकों से पहले भुगतान मिलता है, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता।
- विशेषताएँ:
- अधिमान्य अंशधारकों को निश्चित दर पर लाभांश मिलता है, चाहे कंपनी लाभ में हो या न हो।
- दिवालियापन की स्थिति में अधिमान्य अंशधारकों को भुगतान सामान्य अंशधारकों से पहले किया जाता है।
- अधिमान्य अंशधारकों का कंपनी के सामान्य बैठकों में मतदान का अधिकार नहीं होता।
अंश पूंजी का महत्व:-
1. वित्त पोषण का स्रोत: अंश पूंजी कंपनी के लिए पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इससे कंपनी अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार कर सकती है और नई परियोजनाओं में निवेश कर सकती है।
2. स्वामित्व का वितरण: अंश पूंजी के माध्यम से कंपनी का स्वामित्व विभिन्न व्यक्तियों या संस्थानों के बीच वितरित होता है। इससे कंपनी का स्वामित्व व्यापक हो जाता है और प्रबंधन में विविधता आती है।
3. वित्तीय स्थिरता: अंश पूंजी कंपनी को वित्तीय स्थिरता प्रदान करती है। जब कंपनी अपने शेयर बेचती है, तो उसे पूंजी मिलती है जिसे वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उपयोग कर सकती है।
4. कंपनी की छवि: बड़ी मात्रा में अंश पूंजी जुटाने वाली कंपनी की छवि अच्छी बनती है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है।
निष्कर्ष:-
अंश पूंजी किसी भी कंपनी के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने का एक प्रमुख साधन है। साधारण अंश पूंजी और अधिमान्य अंश पूंजी, दोनों के अपने-अपने लाभ और विशेषताएं होती हैं। साधारण अंश पूंजी निवेशकों को स्वामित्व और लाभांश के साथ-साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का मौका देती है, जबकि अधिमान्य अंश पूंजी उन्हें निश्चित दर पर लाभांश और कंपनी की दिवालियापन स्थिति में प्राथमिकता प्रदान करती है। इन दोनों प्रकारों की पूंजी से कंपनी वित्तीय स्थिरता प्राप्त करती है और व्यापारिक लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम होती है।
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