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Digital signature.IT Act 2000 Hindi me | डिजिटल हस्ताक्षर के सम्बन्ध में केन्द्रिय सरकार के नियम बनाने की शक्तियों का वर्णन कीजिए। Explain the powers of Central Government to make rules in respect of Digital signature.


डिजिटल हस्ताक्षर के सम्बन्ध में केन्द्रिय सरकार के
नियम बनाने की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
Explain the powers of Central Government
to make rules in respect of Digital
signature.


डिजिटल हस्ताक्षर के संबंध में केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियाँ (Information Technology Act, 2000 के अनुसार)


Digital signature.IT Act 2000 Hindi me | डिजिटल हस्ताक्षर के सम्बन्ध में केन्द्रिय सरकार के नियम बनाने की शक्तियों का वर्णन कीजिए। Explain the powers of Central Government to make rules in respect of Digital signature.
 Digital signature.IT Act 2000 Hindi me | डिजिटल हस्ताक्षर के सम्बन्ध में केन्द्रिय सरकार के नियम बनाने की शक्तियों का वर्णन कीजिए। Explain the powers of Central Government to make rules in respect of Digital signature.




परिचय

डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) के तहत एक कानूनी मान्यता प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर है। यह दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता (Authenticity) और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। केंद्र सरकार को इस अधिनियम के तहत डिजिटल हस्ताक्षर से संबंधित नियम बनाने की शक्ति प्रदान की गई है।


केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियाँ

आईटी अधिनियम, 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत केंद्र सरकार को डिजिटल हस्ताक्षर से जुड़े नियम बनाने की शक्ति प्राप्त है। इन शक्तियों का विवरण निम्नलिखित है:

1. धारा 87 – नियम बनाने की शक्ति (Power to Make Rules)

आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 87(2)(a) के तहत केंद्र सरकार को डिजिटल हस्ताक्षर के संबंध में नियम बनाने का अधिकार दिया गया है।

इन नियमों के तहत केंद्र सरकार क्या कर सकती है?

  1. डिजिटल हस्ताक्षर की प्रक्रिया तय करना – डिजिटल हस्ताक्षर कैसे बनाए जाएंगे और उन्हें कैसे सत्यापित किया जाएगा।
  2. डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (Digital Signature Certificate - DSC) जारी करने के नियम बनाना – प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाओं (Certifying Authorities) के लिए दिशा-निर्देश बनाना।
  3. नियामक तंत्र विकसित करना – डिजिटल हस्ताक्षर के सुरक्षित उपयोग के लिए प्रावधान बनाना।
  4. डिजिटल हस्ताक्षर के मानक तय करना – डिजिटल हस्ताक्षर के तकनीकी मानकों (Technical Standards) को निर्धारित करना।
  5. सुरक्षा उपाय लागू करना – डिजिटल हस्ताक्षर के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय लागू करना।

2. धारा 68 – इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर के मानकीकरण की शक्ति

धारा 68 के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Electronic Signatures) के लिए मानक तय करे और उन्हें लागू करे। यह मानक पूरे देश में समान रूप से लागू होते हैं।


3. धारा 84A – एन्क्रिप्शन मानकों की निर्धारित करने की शक्ति

डिजिटल हस्ताक्षर सुरक्षित एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करते हैं। इस धारा के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह एन्क्रिप्शन के मानकों को तय करे ताकि डिजिटल हस्ताक्षर अधिक सुरक्षित हो।


4. डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाओं को नियंत्रित करने की शक्ति (Certifying Authorities - CA)

आईटी अधिनियम के तहत डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाओं (Certifying Authorities - CA) को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार को निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं:

  1. धारा 21 – केंद्र सरकार यह तय कर सकती है कि कौन-सी संस्था प्रमाणपत्र जारी करने के योग्य होगी।
  2. धारा 24 – प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाओं को मान्यता देने के लिए नियम बना सकती है।
  3. धारा 25 – प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्था का लाइसेंस रद्द करने या उसे निलंबित करने का अधिकार।

महत्वपूर्ण उदाहरण एवं केस लॉ (Case Laws)

  1. State of Tamil Nadu v. Suhas Katti (2004)

    • यह पहला मामला था जिसमें आईटी अधिनियम, 2000 के तहत दोषसिद्धि हुई।
    • इस केस में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की वैधता को डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा सत्यापित किया गया था।
  2. Shreya Singhal v. Union of India (2015)

    • इस मामले में आईटी अधिनियम की धारा 66A को असंवैधानिक घोषित किया गया, लेकिन इसमें इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों और डिजिटल हस्ताक्षर की वैधता को बरकरार रखा गया।
  3. P. Gopalkrishnan v. State of Kerala (2019)

    • इस केस में डिजिटल साक्ष्यों की प्रमाणिकता को डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा सत्यापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

उदाहरण

  1. ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन:

    • इंटरनेट बैंकिंग और UPI जैसे डिजिटल भुगतान प्रणाली में डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग किया जाता है।
    • केंद्र सरकार डिजिटल भुगतान को सुरक्षित करने के लिए नियम बना सकती है।
  2. ई-गवर्नेंस (E-Governance):

    • सरकारी दस्तावेज़ों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर अनिवार्य किए गए हैं।
    • जैसे, GST रिटर्न फाइलिंग में डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग किया जाता है।
  3. न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process):

    • सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट अब डिजिटल दस्तावेज़ स्वीकार कर रहे हैं, जिन पर डिजिटल हस्ताक्षर किए गए हैं।

निष्कर्ष

डिजिटल हस्ताक्षर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की प्रमाणिकता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। केंद्र सरकार को इस अधिनियम के तहत डिजिटल हस्ताक्षर से संबंधित नियम बनाने की पूरी शक्ति दी गई है। विभिन्न धाराओं के अंतर्गत सरकार डिजिटल हस्ताक्षर के मानक तय करने, प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्थाओं को नियंत्रित करने, और सुरक्षा उपाय लागू करने जैसे कार्य कर सकती है।

इसका प्रभाव डिजिटल इंडिया पहल, ऑनलाइन लेनदेन की सुरक्षा, और न्यायिक प्रक्रिया में डिजिटल साक्ष्यों की प्रमाणिकता पर पड़ता है। डिजिटल हस्ताक्षर के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए सरकार को समय-समय पर आवश्यक सुधार करने की आवश्यकता होती है।








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