Unit -1
आय और इसके स्रोतों की परिभाषा (Definition of Income and Its Various Heads)
रूपरेखा:-
1. प्रस्तावना (Introduction) (आय के बारे मे) :-
2. आय की परिभाषा (Definition of Income) - धारा 2(24)
3. आय के स्रोत (Sources of Income) - 5 मुख्य श्रेणियाँ
1. वेतन से आय (Income from Salary) -
धारा 15 से 17
2. मकान संपत्ति से आय (Income from House Property) -
धारा 22 से 27
3. व्यापार या पेशे से आय (Income from Business or Profession) -
धारा 28 से 44
4. पूंजीगत लाभ से आय (Income from Capital Gains) -
धारा 45 से 55
5. अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) -
धारा 56 से 59
1. प्रस्तावना (Introduction):-
हर व्यक्ति जो पैसा कमाता है, उसे अपनी आय (Income) के अनुसार टैक्स देना पड़ता है। भारत में आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के तहत आय को परिभाषित किया गया है और इसे कई हिस्सों में बांटा गया है। यह जानना बहुत जरूरी है कि किन-किन स्रोतों से पैसा आने पर उसे आय माना जाएगा और उस पर टैक्स लगेगा।
2. आय की परिभाषा (Definition of Income) - धारा 2(24)
आय का मतलब है वह सारी रकम जो किसी व्यक्ति को किसी भी स्रोत (Source) से मिलती है।
यह रकम किसी भी रूप में हो सकती है, जैसे:
नौकरी से मिलने वाला वेतन (Salary)
बिजनेस का लाभ (Profit from Business)
घर या संपत्ति से किराया (Rent from House Property)
बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज (Interest on Deposits)
शेयर बाजार से होने वाला लाभ (Capital Gains)
कानूनी परिभाषा:-
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(24) में आय की परिभाषा दी गई है, जिसमें कहा गया है कि आय केवल वेतन ही नहीं, बल्कि किसी भी रूप में प्राप्त होने वाली धनराशि को शामिल करती है।
महत्वपूर्ण केस:
CIT बनाम G.R. Karthikeyan (1993) SC – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आय का मतलब सिर्फ नियमित वेतन या व्यवसाय से मिलने वाला लाभ नहीं है, बल्कि लॉटरी जीतना, उपहार (Gift), पुरस्कार (Prize Money) आदि भी आय के अंतर्गत आते हैं।
3. आय के स्रोत (Sources of Income) - 5 मुख्य श्रेणियाँ
1. वेतन से आय (Income from Salary) - धारा 15 से 17
यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी, सरकार, या संगठन में नौकरी करता है, तो उसे जो वेतन मिलता है, वह इसी श्रेणी में आएगा।
इसमें क्या-क्या शामिल हैं?
a. मूल वेतन (Basic Salary)
b. महंगाई भत्ता (Dearness Allowance - DA)
c. बोनस (Bonus)
d. प्रोविडेंट फंड में योगदान (Employer’s PF Contribution)
महत्वपूर्ण केस:
CIT बनाम L.W. Russel (1964) SC – अदालत ने कहा कि सैलरी का मतलब सिर्फ मासिक वेतन नहीं, बल्कि सभी भत्ते और सुविधाएँ भी सैलरी में शामिल होती हैं।
2. मकान संपत्ति से आय (Income from House Property) - धारा 22 से 27
यदि किसी व्यक्ति के पास मकान, दुकान या कोई भी संपत्ति है और वह उसे किराए पर देता है, तो उससे होने वाली आय इस श्रेणी में आएगी।
कैसे टैक्स लगाया जाता है?
यदि संपत्ति स्वयं के उपयोग में है, तो कोई टैक्स नहीं लगेगा।
यदि संपत्ति किराए पर दी गई है, तो उस पर टैक्स लगेगा।
महत्वपूर्ण केस:
Sultan Brothers बनाम CIT (1964) SC – यदि कोई व्यक्ति एक फर्नीश्ड बिल्डिंग किराए पर देता है, तो उसका किराया संपत्ति से होने वाली आय में गिना जाएगा, न कि व्यवसाय आय में।
3. व्यापार या पेशे से आय (Income from Business or Profession) - धारा 28 से 44
यदि कोई व्यक्ति खुद का व्यवसाय (Business) या कोई पेशा (Profession) करता है, तो उससे जो लाभ (Profit) होता है, वह इस श्रेणी में आएगा।
कौन-कौन सी आय इसमें शामिल होती है?
किसी दुकान, कंपनी, फैक्ट्री, होटल, आदि से होने वाली आय
डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, कलाकार, सीए (CA) जैसी प्रोफेशनल्स की कमाई
फ्रीलांसिंग (Freelancing) से मिलने वाली कमाई
महत्वपूर्ण केस:
Bachittar Singh बनाम CIT (2006) HC –
अदालत ने कहा कि किसी भी तरह की व्यावसायिक आय पर टैक्स लगेगा, चाहे वह छोटी दुकान से हो या बड़े उद्योग से।
4. पूंजीगत लाभ से आय (Income from Capital Gains) - धारा 45 से 55
यदि कोई व्यक्ति कोई संपत्ति, जमीन, घर, शेयर या सोना बेचता है और उससे लाभ कमाता है, तो उस पर टैक्स लगेगा।
यह दो प्रकार की होती है:
Short-Term Capital Gains (STCG) – 1 साल से पहले बेची गई संपत्ति पर।
Long-Term Capital Gains (LTCG) – 1 साल के बाद बेची गई संपत्ति पर।
महत्वपूर्ण केस:
Navin Jindal बनाम CIT (2012) SC – अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन बेचता है और उससे लाभ होता है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
5. अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) - धारा 56 से 59
जो भी आय ऊपर की 4 श्रेणियों में नहीं आती, वह इस श्रेणी में आती है।
इसमें क्या-क्या शामिल हैं?
बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज (Interest Income)
लॉटरी या गिफ्ट से मिलने वाली रकम (Lottery, Gift, Prizes)
कमीशन (Commission)
महत्वपूर्ण केस:
CIT बनाम Govinda Choudhury (1993) SC – कोर्ट ने कहा कि ब्याज से मिलने वाली रकम भी आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स लगेगा।
4. महत्वपूर्ण धाराएँ (Important Sections in Income Tax Act, 1961)
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5. निष्कर्ष (Conclusion)
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार हर वह रकम जो किसी भी स्रोत से प्राप्त होती है, उसे आय माना जाता है।
सरकार ने 5 मुख्य स्रोतों के आधार पर आय को विभाजित किया है।
हर प्रकार की आय पर टैक्स की अलग-अलग दरें होती हैं।
यदि आप अपनी सही आय दिखाते हैं, तो टैक्स से बचने के लिए कानूनी तरीके अपनाए जा सकते हैं।
सलाह:
अपनी आय के सभी स्रोतों को सही तरीके से दर्ज करें।
यदि किसी खास तरह की आय पर संदेह हो, तो टैक्स एडवाइजर से सलाह लें।
सरकार द्वारा दी गई छूट (Tax Exemptions) का लाभ उठाएँ।
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