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UPSC Essey Topic Previous Year's Question Papers

UPSC Essey Topics From Previous Year's Question Papers 




पिछले 33 वर्षों के IAS
निबंध प्रश्न-पत्र विषयवार
UPSC निबंध - सूची: विषयवार पिछले 33
वर्षों की ( 1991-2023 )

UPSC Essey Topic Previous Year's Question Papers
UPSC Essey Topic Previous Year's Question Papers 


अर्थव्यवस्था और विकास

1. वितरणकारी न्याय के अभाव में आर्थिक संवृद्धि हिंसा को जन्म देगी । (1993)

2. पारिस्थितिक विचारों को विकास में बाधक नहीं बनना चाहिए। (1993)

3. बहुराष्ट्रीय निगम - संरक्षक या भक्षक ? (1994)

4. छद्म वेश में शहरीकरण एक आशीर्वाद है। (1997)

5. भारतीय संदर्भ में संसाधन प्रबंधन (1999)

6. वैश्वीकरण भारत में लघु उद्योगों को समाप्त कर देगा। (2006)

7. सतत् आर्थिक विकास के लिए पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण का संरक्षण

आवश्यक है। (2006)

8. भारत में बीपीओ की धूम । (2007)

9. विशेष आर्थिक क्षेत्र : वरदान या अभिशाप (2008)

10. क्या हमारे परंपरागत हस्तशिल्पों की नियति में मंथर मृत्यु लिखी है? (2009)

11. स्वास्थ्य देखभाल का फोकस हमारे समाज के समृद्धों के पक्ष की ओर

अधिकाधिक विषम बनता जा रहा है। (2009)

12. क्या देश के जनजातीय क्षेत्रों में सभी नूतन खननों पर अधिस्थगन लागू

किया जाना चाहिए? (2010)

13. क्या आलोचना कि विकास के लिए लोक-निजी साझेदारी (पी. पी. पी.) का

मॉडल भारत के संदर्भ में वरदान से अधिक शाप है, औचित्यपूर्ण हैं? (2012)

14. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ-साथ सकल घरेलू खुशहाली (GDH)

देश की सम्पन्नता के मूल्यांकन के सही सूचकांक होंगे। (2013)

15. क्या वह नीति - गतिहीनता थी या कि क्रियान्वयन गतिहीनता थी, जिसने

हमारे देश की संवृद्धि को मंथर बना दिया था ? (2014)

16. पर्यटन : क्या भारत के लिए यह अगला बड़ा प्रेरक हो सकता है? (2014)

17. भारत के सम्मुख संकट - नैतिक या आर्थिक ? (2015)

18. क्या पूँजीवाद द्वारा समावेशित विकास हो पाना संभव है? (2015)

19. नव प्रवर्तन आर्थिक संवृद्धि और सामाजिक कल्याण का अपरिहार्य निर्धारक

है। (2016)

20. भारत में लगभग रोजगारविहीन संवृद्धिः आर्थिक सुधार की विसंगति या

परिणाम ? (2016)

21. भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन निर्वाह का एक सक्षम

स्रोत नहीं रही है। (2017)

22. कहीं पर भी गरीबी, हर जगह की समृद्धि के लिए खतरा है। (2018)

23. बिना आर्थिक समृद्धि के सामाजिक न्याय नहीं हो सकता, किन्तु बिना

सामाजिक न्याय के आर्थिक समृद्धि निरर्थक है । ( 2020 )

24. आर्थिक समृद्धि हासिल करने के मामले में वन सर्वोत्तम प्रतिमान होते हैं।

(2022)

शिक्षा

1. भारतीय शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन । (1995)

2. साक्षरता बहुत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन शिक्षा में इसके अनुरूप संवृद्धि

नहीं हुई है। (1996)

3. मूल्य आधारित विज्ञान एवं शिक्षा (1999)

4. कक्षा गृह की अप्रासंगिकता (2001)

5. आधुनिक तकनीकी शिक्षा एवं मानवीय मूल्य । (2002)

6. भारत में उच्चतर शिक्षा का निजीकरण (2002)

7. वास्तविक शिक्षा क्या है? (2005)

8. भारत में “ सभी के लिए शिक्षा" अभियान : मिथक या वास्तविकता

(2006)

9. स्वतंत्र चिंतन को बचपन से ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। (2007)

10. क्या लोगों को शिक्षित करने से एक समतावादी समाज संभव है? (2008)

11. ऋण-आधारित उच्चतर शिक्षा प्रणाली स्थिति, अवसर एवं चुनौतियाँ (2011)

12. क्या प्रतिस्पर्धा का बढ़ता स्तर युवाओं के हित में है ? (2014)

13. क्या मानवीकृत परीक्षण शैक्षिक योग्यता या प्रगति का बढ़िया माप है? (2014)

14. मूल्यों से वंचित शिक्षा जैसी अभी उपयोगी है, व्यक्ति को अधिक चतुर

शैतान बनाने जैसी लगती है। (2015)

15. राष्ट्र के भाग्य का स्वरूप निर्माण उसकी कक्षाओं में होता है। (2019)

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की उपेक्षा भारत के पिछड़ेपन के कारण

हैं| (2019 )

16.

17. शोध क्या है, ज्ञान के साथ एक अजनबी मुलाकात। (2021)

18. गणित ज्ञान का संगीत है । ( 2023 )

19. शिक्षा वह है जो विद्यालय में सीखी गई बातों को भूल जाने के बाद भी

शेष रह जाती है। (2023)

भारतीय लोकतंत्र, समाज, संस्कृति और मानसिकता

1. क्या एक विकासशील देश के लिए जनतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली है।

(1991)

2. चौराहे पर भारतीय समाज (1994)

3. आधुनिकीकरण पाश्चात्यकरण समान अवधारणा नहीं है। (1994)

4. नए पंथ और धर्मगुरू : पारंपरिक धर्म के लिए खतरा । (1996)

5. सच्चे धर्म का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता । (1997)

6. भारत की समग्र संस्कृति । (1998)

7. आज की युवा संस्कृति । ( 1999 )

8. मास मीडिया एवं सांस्कृतिक आक्रमण । (1999)

9. आज की भारतीय संस्कृतिः मिथक या वास्तविकता । (2000)

10. आधुनिकतावाद तथा हमारे पारंपरिक सामाजिक - नैतिक मूल्य । (2000)

11. भारतीय होने का हमें गर्व क्यों होना चाहिए? (2000)

पिछले 33 वर्षों के IAS निबंध प्रश्न-पत्र विषयवार

12. लोकतंत्र में मीडिया की जिम्मेदारी (2002)

13. भूमंडलीकरण एवं भारतीय संस्कृति पर इसका प्रभाव। (2004)

14. उपग्रह टीवी ने भारतीय मानसिकता में सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे किया है? (2007)

15. राष्ट्रीय पहचान एवं देशभक्ति । (2008)

16. भूमंडलीकरण बनाम राष्ट्रवाद। (2009)

17. भूगोल यथावत् बना रह सकता है; इतिहास के लिए यह आवश्यक नहीं

है। (2010)

18. पारंपरिक भारतीय परोपकारिता से गेट्स बफेट मॉडल तक एक सहज

प्रगमन या कि एक रूपावली अंतरण ? (2010)

19. क्या भारतीय सिनेमा हमारी लोकप्रिय संस्कृति को आकार देता है या इसे

केवल प्रतिबिंबित करता है? (2011)

20. गाँधी जी के विचारों के संदर्भ में 'स्वाधीनता', 'स्वराज' और 'धर्मराज्य' शब्दों

का क्रम विकासात्मक पैमाने पर अन्वेषण कीजिए । भारतीय लोकतंत्र पर उनकी

समकालीन प्रासंगिकता पर समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिए। (2012)

21. क्या औपनिवेशिक मानसिकता भारत की सफलता में बाधक हो रही है?

(2013)

22. क्या स्टिंग ऑपरेशन निजता पर आक्रमण है? (2014)

23. ओलम्पिक में पचास स्वर्ण पदकः क्या भारत के लिए यह वास्तविकता हो

सकती है? (2014)

24. वे सपने जो भारत को सोने न दें। (2015)

25. सहकारी संघवाद: मिथक अथवा यथार्थ । (2016)

26. पक्षपातपूर्ण मीडिया भारत के लोकतंत्र के समक्ष वास्तविक खतरा है। (2019)

27. दक्षिण एशियाई समाज सत्ता के आसपास नहीं, बल्कि अपनी अनेक

संस्कृतियों और विभिन्न पहचानों के ताने-बाने से बने हैं। (2019)

28. जो हम हैं, वह संस्कार; जो हमारे पास है, वह सभ्यता । ( 2020 )

29. पितृ सत्ता की व्यवस्था नजर में बहुत काम आने के बावजूद सामाजिक

विषमता की सबसे प्रभावी संरचना है। ( 2020)

30. इतिहास स्वयं को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी के रूप में, दूसरी

बार एक प्रहसन के रूप में। (2021)

31. “सर्वोत्तम कार्यप्रणाली" से बेहतर कार्यपालिका भी होती है। (2021)

32. लड़कियाँ बंदिशों के तथा लड़के अपेक्षा के बोझ तले दबे हुए होते हैं,

दोनों ही समान रूप से हानिकारक व्यवस्थाएँ हैं। (2023)

33. जिस समाज में अधिक न्याय होता है, उस समाज को दान की कम

आवश्यकता होती है। (2023)

अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे

1. वैश्विक व्यवस्था राजनीतिक एवं आर्थिक । (1993)

:

2. यूएनओ का पुनर्गठन वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करता है । (1996)

3. विश्व ज्ञान में भारत का योगदान। (1998)

4. इक्कीसवीं सदी की दुनिया । (1998)

5. भारत के लिए वैश्वीकरण के निहितार्थ । (2000)

6. एक आदर्श विश्व व्यवस्था के प्रति मेरा दृष्टिकोण | (2001)

7. नए साम्राज्यवाद के मुखौटे (2003)

8. सभ्यता की प्रगति के साथ संस्कृति की अवनति शुरू हो जाती है। (2003)

9. आसियान सहयोग को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका । (2004)

10 आतंकवाद और विश्व शांति। (2005)

11. भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का महत्व । (2006)

"

12. “ बढ़िया बाड़े बढ़िया पड़ोसी बनाते हैं।” (2009)

13. भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका के लिए हमारे समाज की तैयारी। (2010)

21

14. क्या गुट निरपेक्ष आंदोलन (नाम) एक बहुध्रुवी विश्व में अपनी प्रासंगिकता

को खो बैठा है? (2017)

15. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मौन कारक के रूप में प्रौद्योगिकी | ( 2020)

उद्धरण आधारित, दर्शन, नैतिकता आधारित निबंध

1. वह जो अपनी आंतरिक सत्ता का शासक है तथा अपनी भावनाओं, इच्छाओं

और भय को नियंत्रित करता है, वह किसी राजा से भी श्रेष्ठ है। (1993)

2. करुणा दुनिया की सभी नैतिकता की मूल है। (1993)

3. जवानी एक भूल है, पुरुषत्व एक संघर्ष है, बुढ़ापा एक अफसोस है। (1994)

4. निरर्थक जीवन एक अकाल मृत्यु है । (1994)

5. जितना हम अपने कर्मों को निर्धारित करते हैं, उतना ही कर्म हमें निर्धारित

करते हैं। (1995)

6. सत्य को जिया जाता है, न कि सिखाया जाता है। (1996)

7. उत्कृष्टता की खोज | ( 2001 )

8. काश! युवाओं के पास ज्ञान और बुजुर्गों के पास सामर्थ्य होता । (2002)

9. यश का मार्ग हमें मात्र कब्र की ओर ले जाता है। (2002)

10. सत्य की खोज मात्र एक आध्यात्मिक समस्या हो सकती है। (2002)

11. अच्छा या बुरा कुछ भी नहीं है, लेकिन सोच ऐसा बनाती है। (2003)

12. अभिवृत्ति आदत को बनाती है, आदत चरित्र को बनाती है एवं चरित्र व्यक्ति

का निर्माण करता है। (2007)

13. अनुशासन का अर्थ है, सफलता, अराजकता का अर्थ है विनाश। (2008)

14. जो बदलाव आप दूसरों में देखना चाहते हैं - पहले स्वयं में लाइए - गाँधी

जी । (2013)

15.

अधिकार (सत्ता) बढ़ने के साथ उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है। (2014)

16. शब्द दो धारी तलवार से अधिक तीक्ष्ण होते हैं। (2014)

17. किसी को अनुदान देने से उसके काम में हाथ बटाँना बेहतर है। (2015)

18. फुर्तीला किन्तु संतुलित व्यक्ति ही दौड़ में विजयी होता है। (2015)

19. किसी संस्था का चरित्र चित्रण, उसके नेतृत्व में प्रतिबिंबित होता है। (2015)

आवश्यकता लोभ की जननी है तथा लोभ का आधिक्य नस्लें बर्बाद करता

है। (2016)

20.

21. हर्ष कृतज्ञता का सरलतम रूप है। (2017)

22. हम मानवीय नियमों का तो साहसपूर्वक सामना कर सकते हैं, परंतु प्राकृतिक

नियमों का प्रतिरोध नहीं कर सकते। (2017)

23. एक अच्छा जीवन प्रेम से प्रेरित तथा ज्ञान से संचालित होता है । ( 2018 )

24. रूढ़िगत नैतिकता आधुनिक जीवन का मार्गदर्शक नहीं हो सकती है। (2018)

25. 'अतीत' मानवीय चेतना तथा मूल्यों का एक स्थायी आयाम है। ( 2018 )

26. जो समाज अपने सिद्धांतों के ऊपर अपने विशेषाधिकारों को महत्व देता

है, वह दोनों से हाथ धो बैठता है । (2018)

27. यथार्थ आदर्श के अनुरूप नहीं होता है, बल्कि उसकी पुष्टि करता है। (2018)

28. विवेक सत्य को खोज निकलता है। (2019)

29. मूल्य वे नहीं जो मानवता है, बल्कि वे हैं जैसा मानवता को होना चाहिए। (2019)

30. व्यक्ति के लिए जो सर्वश्रेष्ठ है, वह आवश्यक नहीं कि समाज के लिए

भी हो। (2019)

31. स्वीकारोक्ति का साहस और सुधार करने की निष्ठा सफलता के दो मंत्र

हैं| (2019)

32. मनुष्य होने और मानव बनने के बीच का लम्बा सफर ही जीवन है। (2020)

33. विचारपरक संकल्प स्वयं के शांतचित्त रहने का उत्प्रेरक है। ( 2020 )

34. जहाज अपने चारों तरफ की पानी की वजह से नहीं डूबा करते, जहाज

पानी के अंदर समा जाने की वजह से डूबते हैं। ( 2020 )

35. सफलता चरम परिष्करण है। ( 2020 )

22

36. आत्म-संधान की प्रक्रिया अब तकनीकी रूप से बाह्य स्रोतों को सौंप दी गई है।

(2021)

,

37. आप की मेरे बारे में धारणा, आपकी सोच दर्शाती है, आपके प्रति मेरी

प्रतिक्रिया, मेरा संस्कार है।

,

(2021)

38. इच्छारहित होने का दर्शन काल्पनिक आदर्श (युटोपिया) है, जबकि भौतिकता

माया है।

(2021)

39. सत् ही यथार्थ है और यथार्थ ही सत् है।

पिछले 33 वर्षों के IAS निबंध प्रश्न-पत्र विषयवार

22. सुशासन में मीडिया की भूमिका । (2008)

23. शहरीकरण एवं इसके खतरे (2008)

24. क्या हम एक मृदु राज्य हैं ? (2009)

25. छोटे राज्यों का निर्माण एवं परिणामी प्रशासनिक, आर्थिक और विकासात्मक

निहितार्थ । (2011)

(2021)

26. भारत के संदर्भ में आतंकवाद का मुकाबला करने में मानवीय आसूचना

एवं तकनीकी आसूचना दोनों ही निर्वाचरण है। (2011)

27.

संघीय भारत में राज्यों के बीच जल विवाद | (2016)

28.

भारत में संघ और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंधों पर नए आर्थिक उपायों

का प्रभाव। (2017)

40. कवि संसार के अनधिकृत रूप से मान्य विधायक होते हैं। ( 2022 )

41. इतिहास वैज्ञानिक मनुष्य के रूमानी मनुष्य पर विजय हासिल करने का

एक सिलसिला है। (2022)

42. जहाज बंदरगाह के भीतर सुरक्षित होता है, परंतु इसके लिए तो वह होता

नहीं है। (2022)

43. छप्पर मरम्मत करने का समय तभी होता है, तब धूप खिली हुई हो । ( 2022)

44. आप उसी नदी में दोबारा नहीं उतर सकते। ( 2022 )

45. हर असमंजस के लिए मुस्कुराहट ही चुनिंदा साधन है। ( 2022)

46. केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प हैं, इसका यह अर्थ कदापि नहीं

है कि उनमें से किसी को भी ठीक होना ही होगा। ( 2022 )

47. चिंतन एक तरह का खेल है, यह तब तक प्रारंभ नहीं होता, जब तक एक

विरोधी पक्ष न हो। ( 2023)

48. दूरदर्शी निर्णय तभी लिए जाते हैं, जब अंतर्ज्ञान और तर्क का परस्पर मेल

होता है। (2023)

49. सभी भटकने वाले गुम नहीं होते हैं। ( 2023)

50. रचनात्मकता की प्रेरणा लौकिकता में चमत्कार ढूँढने के प्रयास से उपजती

हैं। (2023)

राजव्यवस्था, प्रशासन, मीडिया और पंचायतीराज

1. 2001 ई. में मेरी दृष्टि का भारत । (1993)

-

2. राजनीति, नौकरशाही एवं व्यवसाय एक घातक त्रिकोण (1994)

3. जब पैसा बोलता है, तो सच्चाई चुप हो जाती है । (1995)

4. नैतिकता के बिना राजनीति एक आपदा है। (1995)

5. कौन-सा भारतीय लोकतंत्र ? (1995)

6. वी. आई. पी. जुनून भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अभिशाप है। (1996)

7. लोक प्रशासन में पारदर्शिता की आवश्यकता। (1996)

8. न्यायिक सक्रियता (1997)

9. आजादी के पचास वर्षों के दौरान हमने क्या नहीं सीखा है ? (1997)

10. भारत में स्वतंत्रता की गलत व्याख्या एवं दुरुपयोग । (1998)

11. भारत में भाषा की समस्या : इसका अतीत, वर्तमान और संभावनाएँ । (1998)

12. आरक्षण, राजनीति एवं सशक्तिकरण । (1999)

13. देश को एक बेहतर आपदा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है। (2000)

14. हमने अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था से क्या हासिल किया है? (2001)

15. भारत में लोकतंत्र ने कितनी लाभदायक यात्रा की है? (2003)

16. एक लोक सेवक का आचरण कैसा होना चाहिए? (2003)

17. न्यायिक सक्रियता एवं भारतीय लोकतंत्र (2004)

18. जल स्रोत केन्द्र सरकार के अन्तर्गत होना चाहिए। (2004)

19. संधारणीय राष्ट्रीय विकास के लिए खाद्य सुरक्षा । (2005)

20. भारत में लोगों के लिए शक्ति उन्मूलन के दृष्टिकोण से पंचायतीराज

व्यवस्था का मूल्यांकन। (2007)

21. क्या स्वायत्तता विभाजन का मुकाबला करने में सक्षम है? (2007)

29. भारत के सीमा विवादों का प्रबंधन - एक जटिल कार्य । (2018)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

1. कम्प्यूटर : मूल क्रांति का अग्रदूत (1993)

2. आधुनिक चिकित्सक एवं उसका मरीज । (1997)

3. साइबर दुनिया : इसके आकर्षण एवं चुनौतियाँ (2000)

4. विज्ञान की प्रगति एवं मानवीय मूल्यों का ह्रास । (2001)

5. आध्यात्मिकता एवं वैज्ञानिक मनोवृत्ति । (2003)

6. अंतरिक्ष का प्रलोभन (2004)

7. कम्प्यूटरीकरण में वृद्धि एक अमानवीय समाज का निर्माण करेगी। (2006)

8. विज्ञान एवं रहस्यवाद क्या वे संगत हैं ? (2012)

9. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राष्ट्र की संवृद्धि तथा सुरक्षा हेतु रामबाण है। (2013)

10. प्रौद्योगिकी जनशक्ति का स्थान नहीं ले सकती। (2015)

11. डिजिटल अर्थव्यवस्था : एक समताकारी या आर्थिक असमता का स्रोत । (2016)

12. साइबर स्पेस और इंटरनेट : दीर्घ अवधि में मानव सभ्यता के लिए वरदान

या अभिशाप । (2016)

13. सोशल मीडिया अंतर्निहित रूप से एक स्वार्थपरायण माध्यम है। (2017)

14. जलवायु परिवर्तन के प्रति सुनम्य भारत हेतु वैकल्पिक तकनीकें। (2018)

15. कृत्रिम बुद्धि का उत्थानः भविष्य में बेरोजगारी का खतरा अथवा पुनर्कौशल

और उच्च कौशल के माध्यम से बेहतर रोजगार के सृजन का अवसर (2019 )

महिला सशक्तिकरण

1. भारतीय नारी: कल्पना और यथार्थ (1992)

2. पुरुष असफल हो चुके हैं; नारियों को संभालने दो। (1993)

3. नई उभरती महिला शक्ति : एक बुनियादी सच्चाई । (1995)

4. मात्र राजनीतिक शक्ति महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं ला पाएगी। (1997)

5. नारी ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है । (1998)

6. महिला सशक्तिकरण: चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ। (1999)

7. मात्र सशक्तिकरण ही महिलाओं की सहायता नहीं कर सकता है। (2001)

8. नारी मुक्ति किधर है? (2004)

9. पालना को झुलाने वाले हाथ। (2005)

10. यदि पूरी दुनिया में नारियों का शासन होता । (2005)

11. भारत में महिला आरक्षण विधेयक महिला सशक्तिकरण में मार्गदर्शक का

कार्य करेगा। (2006)

12. कामकाज और घर की संभाल क्या भारतीय कामकाजी महिला एक

न्यायोचित बरताव प्राप्त कर रही है? (2012)

13. भारत में 'नए युग की नारी' की परिपूर्णता एक मिथक है । (2017)

14. पालना झूलाने वाले हाथों में ही संसार की बागडोर होती है। (2021)



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