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उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) NATO Kya hai ?

NATO Kya hai ? 

नाटो से आप क्या समझते हैं ? विस्तार से वर्णन करें। 

नाटो का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर अटलांटिक संधि के संगठन (नाटो) North Atlantic Treaty Organisation (NATO)
What is Nato in hindi ? 


उत्तर अटलांटिक संधि के संगठन (नाटो) North Atlantic Treaty Organisation (NATO)

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ (NATO) की स्थापना सन् 1949 में सोवियत विस्तार और साम्यवादी प्रभाव से पश्चिमी यूरोप को बचाने के लिए पूँजीवादी राष्ट्रों ने स्वतंत्रता के नाम पर इस सैनिक गुट का निर्माण किया था। इसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी.सी. में 4 अप्रैल, 1949 को 12 देशोंबेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने उत्तर अटलांटिक गठबंधन की स्थापना के लिए ‘उत्तर अटलांटिक संधि’ पर हस्ताक्षर किए। यह संधि 24 अगस्त, 1949 को लागू हुई। ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ में सन् 1952 में यूनान एवं तुर्की, सन् 1955 में संघीय जर्मन गणराज्य (तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी अब संयुक्त जर्मनी), सन् 1982 में स्पेन, सन् 1999 में पूर्वी यूरोप के तीन राज्य—चेक गणराज्य, हंगरी एवं पोलैंड शामिल हुए। सन् 2004 में पूर्वी यूरोप के सात और राज्य—बुल्गारिया, एस्तोनिया, लाटविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया एवं स्लोवेनिया शामिल हुए, जिससे इसकी कुल सदस्य संख्या 26 हो गई। उल्लेखनीय है कि यह ‘नाटो’ का अब तक का सबसे बड़ा विस्तार है। पूर्वी यूरोप की ओर हो रहे ‘नाटो’ के इस विस्तार के प्रति रूस ने चिंता भी व्यक्त की है। सन् 2009 में दो और नए राज्यों अल्बानिया एवं क्रोएशिया के शामिल होने से इसकी कुल सदस्य संख्या 26 से बढ़कर 28 हो गई।

उत्तर अटलांटिक संधि के संगठन (नाटो) North Atlantic Treaty Organisation (NATO)
नाटो के सदस्य नीले भाग में 



नाटो के सदस्य

सदस्य देश—प्रवेश वर्ष 
1. बेल्जियम—1949 
2. पुर्तगाल—1949 
3. डेनमार्क—1949 
4. फ्रांस—1949 
5. आइसलैंड—1949 
6. इटली—1949 
7. लक्जमबर्ग—1949 
8. नीदरलैंड—1949 
9. नॉर्वे—1949 
10. कनाडा—1949 
11. यूनाइटेड किंगडम—1949 
12. सं.रा. अमेरिका—1949 13. ग्रीस (यूनान)—1952 14. तुर्की —1952 
15. जर्मनी—1955 
16. स्पेन—1982 
17. चेक गणराज्य—1999 18. हंगरी—1999 
19. पोलैंड—1999 
20. बुल्गारिया—2004
21. एस्तोनिया—2004 
22. लाटविया—2004 
23. लिथुआनिया—2004
24. रोमानिया—2004 
25. स्लोवाकिया—2004 
26. स्लोवेनिया—2004 
27. अल्बानिया—2009 
28. क्रोएशिया—2009

उत्तर अटलांटिक संधि के संगठन (नाटो) North Atlantic Treaty Organisation (NATO)
NATO : उत्तर अटलांटिक संधि संगठन 

नाटो के प्रमुख अंग  

1. उत्तर अटलांटिक परिषद् (N.A.C.) 

 यह संगठन का सर्वोच्च नीति निकाय है। इसमें सभी 28 सदस्य राज्यों के स्थायी प्रतिनिधि रहते हैं। इसकी सामान्यतः सप्ताह में एक बैठक होती है। इसकी उच्च स्तर पर बैठकें विदेश मंत्रियों तथा शासनाध्यक्षों के रूप में भी होती हैं। यह गठबंधन के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए उत्तरदायी सर्वोच्च निकाय है, जो सहयोगी इकाइयाँ, समितियाँ बनाता है। इसका अध्यक्ष ‘महासचिव’ (Secretary General) कहलाता है। 2. सैनिक समिति : यह समिति परिषद् के अधीन है। यह समिति परिषद् तथा ‘रक्षा योजना समिति’ को सैन्य मामलों में सिफारिशें करती है तथा गठबंधन के सैन्य कमांडरों को निर्देश देती है। इसमें सदस्य देशों के सैन्य अधिकारी प्रतिनिधियों के रूप में स्थायी रूप से मिलते हैं, परंतु सदस्य देशों के सैन्य प्रमुखों की बैठक दो वर्ष में एक बार होती है। सन् 1991 में ‘वारसा पैक्ट’ (Warsaw Pact) के समाप्त होने तथा रूस के साथ अपने संबंधों में सुधार के बाद नाटो ने यूरोप में सुरक्षात्मक चुनौतियों का सामना करने हेतु अपनी संरचनाओं एवं नीतियों में मौलिक बदलाव किया है। अपनी भूमिका में आए इस बदलाव का मुख्य कारण ‘उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद्’ (N.A.C.C.) के माध्यम से मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों तथा पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए राज्यों के साथ निकट सुरक्षात्मक संबंध बनाना था। ‘उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद्’ की स्थापना नाटो के नए नीतिगत दृष्टिकोण के मुख्य अंग के रूप में दिसंबर 1991 में की गई थी। सन् 1997 में ‘यूरो-अटलांटिक पार्टनरशिप काउंसिल’ (E.A.P.C.) ने ‘उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद्’ का स्थान ले लिया। ‘यूरो-अटलांटिक पार्टनरशिप काउंसिल’ नाटो के सदस्य देशों तथा साझा देशों को निकट लाने का प्रयास करती है।

नाटो संधि : 

एक दृष्टि में प्रस्तावना :

‘‘संगठन सदस्य देशों के साझा हितों की अभिवृद्धि तथा सदस्य देशों की सामूहिक सुरक्षा के प्रयत्नों में एकता स्थापित करेगा।’’ 
• अनुच्छेद-1: विवादों के शांतिपूर्ण समाधान से संबंधित। 
• अनुच्छेद-2: सदस्य राज्यों में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग से संबंधित। 
• अनुच्छेद-3: नाटो के सुरक्षातंत्र की सामर्थ्य के विकास से संबंधित। 
• अनुच्छेद-4: किसी सदस्य राज्य को धमकी दिए जाने पर साझा विचार-विमर्श किए जाने से संबंधित। 
• अनुच्छेद-5: सामूहिक आत्मरक्षा के लिए परस्पर साझा प्रयासों तथा सदस्य देशों की सशस्त्र सेनाओं (Armed Forces) को प्रयोग किए जाने से संबंधित। 
• अनुच्छेद-6: संधि के प्रभाव क्षेत्र को निरूपित किए जाने से संबंधित। 
• अनुच्छेद-7: ‘यू.एन. चार्टर’ के अंतर्गत सदस्य राज्यों की प्रतिज्ञा की प्राथमिकता तय करने से संबंधित। 
• अनुच्छेद-8: हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के किसी अन्य संधि से बँधे होने पर होने वाले अंतर्विरोध को रोकने के सुरक्षा उपाय से संबंधित। 
• अनुच्छेद-9: संधि के कार्यान्वयन की देख-रेख के लिए एक परिषद् (Council) की रचना से संबंधित। 
• अनुच्छेद-10: अन्य राष्ट्रों के संधि में भाग लेने से संबंधित। 
• अनुच्छेद-11: संधि के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया से संबंधित। 
• अनुच्छेद-12: संधि के पुनर्निर्धारण से संबंधित। 
• अनुच्छेद-13: सदस्यता वापसी से संबंधित। 
• अनुच्छेद-14: संधि की मूल प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रंथ-रक्षागृह में सुरक्षित रखे जाने से संबंधित। 24 से 26 अप्रैल, 1999 को वाशिंगटन में ‘नाटो’ की 50वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए 19 औपचारिक सदस्यों के साथ-साथ 23 अन्य राष्ट्रों ने भी भाग लिया। इस सम्मेलन में ‘नवीन युद्धनीति अवधारणा’ (New Strategic Concept) से संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया गया। ‘नवीन युद्धनीति अवधारणा’ के आधार पर अब नाटो विश्व में कहीं भी युद्ध का डंका बजा सकता है। नाटो ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय के तहत
सितंबर 2001 में प्रथम बार अपने चार्टर की धारा/अनुच्छेद-5 का प्रयोग किया। यह धारा सामूहिक सुरक्षा से संबंधित है तथा इसके तहत किसी भी एक देश पर आक्रमण होने पर सभी सदस्य देश सामूहिक रूप से ‘आक्रामक’ के विरुद्ध कार्यवाही का अधिकार रखते हैं। 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर आतंकवादी हमलों के बाद ‘नाटो’ ने सितंबर 2001 में आक्रामक (अलकायदा, ओसामा बिन लादेन तथा तालिबान शासन) के विरुद्ध अपने चार्टर की धारा-5 के अंतर्गत कार्यवाही की। वर्तमान में ‘नाटो सेना’ अफगानिस्तान और इराक में शांति स्थापना के कार्य में लगी हुई है। 

नाटो—रूस परिषद् (NATO-Russia Council–N.R.C.) 

संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ व नाटो के साथ रूस के राजनीतिक आर्थिक व सैन्य संबंधों में एक नया एवं ऐतिहासिक मोड़ मई 2002 में तब आया, जब नाटो-रूस परिषद् के गठन हेतु एक औपचारिक समझौते पर 28 मई, 2002 को रोम में हस्ताक्षर हुए। इस गठबंधन के तहत अमेरिका के प्रभुत्ववाले सैन्य संगठन ‘नाटो’ के साथ विभिन्न मुद्दों पर सहयोग करने के लिए रूस सहमत हुआ। इससे पारस्परिक टकरावपूर्ण संबंधों के स्थान पर साझेदारी के एक नए युग में दोनों पक्षों ने प्रवेश किया है। इस नवगठित परिषद् में रहते हुए रूस की नाटो के साथ भूमिका पहले से यद्यपि अधिक होगी, तथापि यह असीमित नहीं होगी। आतंकवाद, परमाणु-प्रसार व सैन्य-सुधार जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर साझा निर्णय लेने में ही रूस को बराबरी का अधिकार इसमें प्रदान किया गया। 

नाटो (NATO) के अतिरि€त अन्य प्रमुख सैनिक संधि संगठन 


सीटो (SEATO) 

नाटो की तरह ‘सीटो’ (SEATO) भी साम्यवाद के डर के कारण ही पैदा हुआ। शीतयुद्ध के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया में साम्यवादी चीन के विस्तार को रोकने के लिए 6 से 8 सितंबर, 1954 को फिलीपींस की राजधानी मनीला में एक सम्मेलन संपन्न हुआ। 8 सितंबर, 1954 को सम्मेलन के दौरान थाइलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस एवं पाकिस्तान ने दक्षिण-पूर्वी एशिया की सामूहिक सुरक्षा के उद्देश्य से एक संधि-पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसे ‘दक्षिण-पूर्वी एशिया संधि संगठन’ (SEATO) कहा जाता है। सन् 1977 में सीटो का विघटन हो गया। इसका मुख्यालय बैंकॉक (थाइलैंड) में था। 

सेंटो (CENTO) : 

नाटो (NATO) और सीटो (SEATO) की तरह ‘सेंटो’ (CENTO) का गठन भी पश्चिमी शक्तियों द्वारा सोवियत संघ विरोधी समझौते के रूप में हुआ। सन् 1955 में अमेरिका के प्रयासों से तुर्की और इराक के बीच सुरक्षा के बारे में इराक की राजधानी बगदाद में एक समझौता हुआ, जिसके तहत ‘केंद्र्रीय संधि संगठन’ (CENTO) का गठन किया गया। इसे ‘बगदाद समझौता’ (Bagdad Pact) के नाम से भी जाना जाता है। बाद में ब्रिटेन, पाकिस्तान तथा ईरान भी इसमें शामिल हुए। सन् 1979 में ‘सेंटो’ का विघटन हो गया। इसका मुख्यालय अंकारा (तुर्की) में था। 

‘वारसा पैक्ट’ (Warsaw Pact) :

 पश्चिमी शक्तियों ने नाटो (NATO), सीटो (SEATO) और सेंटो (CENTO) द्वारा सोवियत संघ के इर्द-गिर्द घेरे की स्थिति पैदा कर दी थी। अतः यह स्वाभाविक हो गया था कि सोवियत संघ भी सैनिक संगठनों का उत्तर सैनिक संगठन से देता। फलस्वरूप सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादी देशों का एक सम्मेलन 11 से 14 मई, 1955 को पोलैंड की राजधानी वारसा (Warsaw) में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप के 7 देशों—बुल्गारिया, अल्बानिया, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड तथा रोमानिया ने भाग लिया। 14 मई, 1955 को सम्मेलन में भाग लेनेवाले सभी देशों ने पारस्परिक सहयोग की एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे ‘पूर्वी यूरोपीय संधि संगठन’ (East Europe Security Pact) कहा जाता है। इसे ‘वारसा पैक्ट’ (Warsaw Pact) के नाम से भी जाना जाता है। शीतयुद्ध के अंत की प्रक्रिया के साथ 1 जुलाई, 1991 को ‘वारसा पैक्ट’ समाप्त हो गया। 

नाटो : महत्त्वपूर्ण तथ्य

• नाटो (NATO) की स्थापना सोवियत विस्तार और साम्यवादी प्रभाव से पश्चिमी यूरोप को बचाने के लिए पूँजीवादी राष्ट्रों द्वारा की गई। इसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई। 

• सन् 2009 में नाटो में दो नए सदस्य अल्बानिया और क्रोएशिया शामिल हुए। 

• सन् 2009 तक नाटो के कुल सदस्यों की संख्या 28 थी। 

• नाटो के दो सदस्य राष्ट्र (संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा) को छोड़कर बाकी सभी सदस्य यूरोप के हैं।

• नाटो के आधे से अधिक सदस्य यूरोपीय संघ (E.U.) के भी सदस्य हैं। 

• नाटो की संधि में प्रस्तावना सहित कुल 14 अनुच्छेद हैं। 

• नाटो के प्रथम महासचिव (Secretary General) लॉर्ड ईस्मे थे। 

• नाटो के अतिरिक्त अन्य प्रमुख सैनिक संगठन –सीटो (SEATO), सेंटो (CENTO) तथा वारसा पैक्ट (Warsaw Pact) थे। 

• नाटो के तीन सदस्य देशों—अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस ‘सीटो’ के भी सदस्य थे। 

• नाटो के दो सदस्य —ब्रिटेन तथा तुर्की ‘सेंटो’ (CENTO) के भी सदस्य थे। 

• नाटो के दो प्रमुख अंग हैं—पहला, उत्तर अटलांटिक परिषद् (N.A.C.), दूसरा, सैनिक समिति। ‘उत्तर अटलांटिक परिषद्’ नाटो का सर्वोच्च नीति निकाय है, इसमें सभी सदस्य राज्यों के स्थायी प्रतिनिधि रहते हैं। सैनिक समिति परिषद् के अधीन होती है। 

• उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद् (N.A.C.C.) की स्थापना नाटो के नए नीतिगत दृष्टिकोण के मुख्य अंग के रूप में दिसंबर 1991 में की गई। 

• सन् 1997 में ‘यूरो अटलांटिक पार्टनरशिप काउंसिल’ (E.A.P.C.) ने ‘उत्तर अटलांटिक सहयोग परिषद्’ (N.A.C.C.) का स्थान लिया। 

• अप्रैल 1999 को वाशिंगटन डी.सी. (सं.रा. अमेरिका) में ‘नाटो’ की 50वीं वर्षगाँठ मनाई गई। 

• नवंबर 2002 में नाटो के पराग्वे सम्मेलन के दौरान, ‘इंडीविजुअल पार्टनरशिप एक्शन प्लान’ (I.P.A.P.) स्वीकार किया गया। 

• ‘नाटो-रूस परिषद्’ (NATO-Russia Council) के गठन हेतु एक औपचारिक समझौते पर रोम (इटली) में 28 मई, 2002 को हस्ताक्षर हुए। 

• मार्च 2004 में पाकिस्तान को ‘नाटो-इतर मुख्य सहयोगी’ (Major Non-Nato Ally.—M.N.N.A.) राष्ट्र का दरजा अमेरिका द्वारा दिया गया। 

• वर्तमान में ‘नाटो’ सेना अफगानिस्तान तथा इराक में शांति स्थापना के कार्य में लगी हुई है। 

• 1 अगस्त, 2009 से ‘एंडर्स फोग रासमुसेन’ (डेनमार्क) नाटो के नए महासचिव हैं। नाटो (NATO) का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है।




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