अगर केस लड़ने के लिए नहीं हैं पैसे, तो कैसे मिल सकेगा मुफ्त में वकील ?
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अगर केस लड़ने के लिए नहीं हैं पैसे, तो कैसे मिल सकेगा मुफ्त में वकील ? |
भारतीय संसद ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 पारित किया था. इसमें गरीबों को फ्री में कानूनी सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
अगर आप न्याय पाने के लिए मुकदमा लड़ना चाहते हैं और आपके पास इसके लिए पैसे नहीं है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. सरकार आपको फ्री में एडवोकेट उपलब्ध कराएगी. इसके लिए भारतीय संसद ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 पारित किया था. इसमें गरीबों को फ्री में कानूनी सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट मुफ्त कानूनी सहायता पाने को मौलिक अधिकार करार दे चुका है. हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि मुफ्त में कानूनी सहायता पाने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार के तहत आता है
इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A में भी कहा गया है कि राज्य ऐसी व्यवस्था बनाएगा, ताकि सभी नागरिकों को न्याय मिल सके. आर्थिक तंगी या किसी अन्य अयोग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय पाने से वंचित नहीं रहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहे कृष्णा अय्यर ने एक सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए कहा था कि मुफ्त कानूनी मदद पाना हर गरीब का मूलभूत अधिकार है ।
एडवोकेट कालिका प्रसाद काला 'मानस' ने बताया कि गरीबों को सिर्फ क्रिमिनल केस ही नहीं, बल्कि सिविल केस लड़ने के लिए भी मुफ्त में वकील मिलता है. उनके मुताबिक अगर कोई गरीब सिविल मुकदमा लड़ रहा है, तो सिविल प्रक्रिया संहिता में ‘पौपर्स सूट’ का प्रावधान किया गया है. अदालतों को यह शक्ति मिली है कि वो किसी गरीब व्यक्ति को मुकदमा लड़ने के लिए सरकारी खर्च पर न्याय मित्र यानी ‘एमिकस क्यूरी’ उपलब्ध करवा सकती है. हालांकि सिविल मामलों में पौपर्स सूट यानी गरीब व्यक्ति को सरकारी खर्च पर एमिकस क्यूरी देने की परम्परा कम ही देखने को मिलती है ।
किनको मिलती है फ्री कानूनी सहायता
एडवोकेट कालिका प्रसाद काला ने बताया कि भारतीय संसद ने गरीबों को फ्री कानूनी सहायता देने के लिए साल 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया था. एडवोकेट काला के मुताबिक मुफ्त में कानूनी सहायता जिन लोगों को दी जाती है, वे इस प्रकार हैं...
1. अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय के लोगों को।
2. भिखारी या मानव तस्करी के शिकार व्यक्ति को।
3. महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों को।
4. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प, बाढ़ और सूखा आदि के शिकार व्यक्तियों को।
5. बलवे या जातीय हिंसा या साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार व्यक्ति को।
6. किसी औद्योगिक हादसे के शिकार व्यक्तियों और कामगारों को।
7. बाल सुधार गृह के किशोर और मानसिक रोगी को।
8. ऐसे व्यक्ति को जिसकी सालाना इनकम 25 हजार से कम है ।
मुफ्त में वकील पाने के लिए यहां करें संपर्क
अगर आपके पास केस लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप मुफ्त में एडवोकेट की मांग कर सकते हैं. इसके लिए आप सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, तो नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी या इसकी वेबसाइट यानी https://nalsa.gov.in/lsams/ पर संपर्क कर सकते हैं । इसके अलावा अगर आप हाईकोर्ट में केस लड़ना चाहते हैं, तो मुफ्त कानूनी सहायता के लिए राज्य के स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (https://nalsa.gov.in/state-lsas-websites) से संपर्क करना होता है. इसके अलावा गरीबों को जिला स्तर पर भी मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी से संपर्क किया जा सकता है।
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