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प्राइवेट व पब्लिक कम्पनी की विशेषताएँ बताकर अन्तर स्पष्ट कीजिए । Distinction private and public company



According to Indian Company Act 2013 


Download bare act Of BNS Free PDF  The Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS), 2023
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प्राइवेट व पब्लिक कम्पनी की विशेषताएँ बताकर अन्तर स्पष्ट कीजिए ।

Give the characteristics of private and public company

giving the distinction between them.


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भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के तहत प्राइवेट और पब्लिक कंपनी की विशेषताएँ और अंतर


भारत में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत प्राइवेट (Private) और पब्लिक (Public) कंपनियों की स्थापना और संचालन के नियमदिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। यहाँ हम इन दोनों प्रकार की कंपनियों की विशेषताओं और उनके बीच के अंतर को विस्तार से समझेंगे।


प्राइवेट कंपनी की विशेषताएँ:-

1. सदस्यों की संख्या: प्राइवेट कंपनी में न्यूनतम 2 और अधिकतम 200 सदस्य हो सकते हैं।


2. शेयर ट्रांसफर पर प्रतिबंध: प्राइवेट कंपनी के शेयरों का हस्तांतरण (Transfer) सीमित होता है। शेयरधारकों के बीच आपसी सहमति से ही शेयरों का हस्तांतरण संभव है


3. सार्वजनिक निर्गम पर प्रतिबंध: 

प्राइवेट कंपनी अपने शेयरों को आम जनता के बीच जारी नहीं कर सकती है। इसे सार्वजनिक रूप से शेयर बेचने की अनुमति नहीं होती है।


4. न्यूनतम पूंजी: कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार प्राइवेट कंपनी के लिए न्यूनतम अधिकृत पूंजी की कोई विशिष्ट सीमा नहीं है


5. निदेशकों की संख्या: प्राइवेट कंपनी में कम से कम 2 निदेशक होने चाहिए।


6. कानूनी औपचारिकताएँ: प्राइवेट कंपनी के लिए कानूनी औपचारिकताएँ और अनुपालन (Compliance) अपेक्षाकृत कम होते हैं, जिससे इसके संचालन में आसानी होती है।


पब्लिक कंपनी की विशेषताएँ:-

1.सदस्यों की संख्या: पब्लिक कंपनी में न्यूनतम 7 सदस्य होने चाहिए, जबकि अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं है


2. शेयर ट्रांसफर की स्वतंत्रता: पब्लिक कंपनी के शेयर स्वतंत्र रूप से ट्रांसफर किए जा सकते हैं। शेयरधारकों के बीच शेयरों का हस्तांतरण बिना किसी प्रतिबंध के हो सकता है।


3. सार्वजनिक निर्गम की अनुमति: पब्लिक कंपनी अपने शेयरों को आम जनता के बीच जारी कर सकती है। यह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकती है और आम जनता से पूंजी जुटा सकती है।


4. न्यूनतम पूंजी: पब्लिक कंपनी के लिए न्यूनतम अधिकृत पूंजी की कोई विशिष्ट सीमा नहीं है, लेकिन इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों का पालन करना होता है।


5. निदेशकों की संख्या: पब्लिक कंपनी में कम से कम 3 निदेशक होने चाहिए।


6. कानूनी औपचारिकताएँ: पब्लिक कंपनी के लिए कानूनी औपचारिकताएँ और अनुपालन अपेक्षाकृत अधिक होते हैं। इसे नियमित रूप से रिपोर्टिंग और ऑडिटिंग की आवश्यकता होती है।


प्राइवेट और पब्लिक कंपनी के बीच अंतर:-


1. सदस्यों की संख्या:

   - प्राइवेट कंपनी: न्यूनतम 2 और अधिकतम 200 सदस्य।

   - पब्लिक कंपनी: न्यूनतम 7 सदस्य, अधिकतम की कोई सीमा नहीं।


2. शेयर ट्रांसफर:

   - प्राइवेट कंपनी: शेयरों का हस्तांतरण सीमित।

   - पब्लिक कंपनी: शेयरों का स्वतंत्र रूप से हस्तांतरण।


3. सार्वजनिक निर्गम:

   - प्राइवेट कंपनी: शेयरों का सार्वजनिक निर्गम नहीं कर सकती।

   - पब्लिक कंपनी: शेयरों का सार्वजनिक निर्गम कर सकती है और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकती है।


4. निदेशकों की संख्या:

   - प्राइवेट कंपनी: कम से कम 2 निदेशक।

   - पब्लिक कंपनी: कम से कम 3 निदेशक।


5. कानूनी औपचारिकताएँ:

   - प्राइवेट कंपनी: कानूनी औपचारिकताएँ और अनुपालन अपेक्षाकृत कम।

   - पब्लिक कंपनी: कानूनी औपचारिकताएँ और अनुपालन अपेक्षाकृत अधिक।


6. न्यूनतम पूंजी:

   - प्राइवेट कंपनी: न्यूनतम पूंजी की कोई विशिष्ट सीमा नहीं।

   - पब्लिक कंपनी: न्यूनतम पूंजी की कोई विशिष्ट सीमा नहीं, लेकिन SEBI के नियमों का पालन आवश्यक।


निष्कर्ष:-

प्राइवेट और पब्लिक कंपनी दोनों के अपने-अपने लाभ और सीमाएँ हैं। प्राइवेट कंपनी का प्रबंधन और संचालन अपेक्षाकृत सरल होता है, जबकि पब्लिक कंपनी का प्रबंधन और संचालन अधिक जटिल और व्यापक होता है। पब्लिक कंपनी को सार्वजनिक पूंजी जुटाने की स्वतंत्रता होती है, लेकिन इसके लिए इसे अधिक कानूनी और नियामक अनुपालनों का पालन करना होता है। वहीं, प्राइवेट कंपनी को संचालन में अधिक लचीलापन और स्वतंत्रता होती है, लेकिन इसे पूंजी जुटाने के लिए सीमित साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के तहत, दोनों प्रकार की कंपनियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और नियम निर्धारित किए गए हैं, जिससे वे अपने व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा कर सकें और भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।

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