मर्यादा अधिनियम के अधीन उन पर्याप्त कारणों का वर्णन कीजिए जिनके अधीन वर्णित समय अवधि बढ़ाई जा सकती है। Explain the sufficient causes under limitation Act under which prescribed time period can be extended. ACCORDING TO CPC And Indian Limitation Act In very very very Easy Hindi Words with case law and important sections
मर्यादा अधिनियम (Limitation Act) के तहत समय अवधि बढ़ाने के पर्याप्त कारण
मर्यादा अधिनियम, 1963 (Indian Limitation Act, 1963) का उद्देश्य यह तय करना है कि किसी मुकदमे या दावा दायर करने के लिए कितना समय दिया जाएगा। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
CPC (सिविल प्रक्रिया संहिता) और मर्यादा अधिनियम के अनुसार, समय सीमा बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पर्याप्त कारण (Sufficient Causes) माने गए हैं:
1. धारा 5 - अपील और आवेदन के लिए विलंब माफी
यदि किसी अपील (Appeal) या आवेदन (Application) को तय समय पर दायर नहीं किया गया हो, तो धारा 5 के तहत विलंब माफ किया जा सकता है, यदि:
- वैध कारण: देरी का कारण उचित और वास्तविक हो।
- ईमानदारी: वादी ने ईमानदारी से कार्रवाई की हो।
उदाहरण:
- बीमारी या दुर्घटना
- वकील का लापरवाही से तैयार न होना
महत्वपूर्ण केस:
- Collector of Land Acquisition v. Katiji (AIR 1987 SC 1353):
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्याय देने के लिए देरी को माफ किया जाना चाहिए, यदि कारण ईमानदार और वैध हो।
2. धारा 6 - नाबालिगता और मानसिक विकार (Disability)
अगर वादी नाबालिग (Minor) है, या मानसिक रूप से अस्वस्थ (Unsound Mind) है, तो:
- समय सीमा तब से शुरू होगी जब वह बालिग (Adult) हो जाएगा या मानसिक रूप से स्वस्थ हो जाएगा।
- यदि वह व्यक्ति मर जाता है, तो उसका उत्तराधिकारी (Legal Heir) मुकदमा दायर कर सकता है।
महत्वपूर्ण केस:
- Lachmeshwar Prasad v. Keshwar Lal (AIR 1941 PC 5):
अदालत ने कहा कि नाबालिग होने पर समय सीमा तब शुरू होगी जब वह 18 वर्ष का हो जाएगा।
3. धारा 14 - एक गलत न्यायालय में मामला दायर करना (Wrong Court)
यदि वादी ने मामला गलत न्यायालय (Court) में दायर किया हो, और बाद में सही न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए, तो:
- पहले की गई प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
- यह साबित करना होगा कि वादी ने अच्छा विश्वास (Good Faith) रखा था।
महत्वपूर्ण केस:
- Consolidated Engg. v. Irrigation Dept. (2008) 7 SCC 169:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि मामला गलत अदालत में था लेकिन वादी ने ईमानदारी दिखाई, तो समय सीमा माफ की जा सकती है।
4. धारा 17 - धोखाधड़ी या छुपाव (Fraud or Concealment)
यदि प्रतिवादी (Defendant) ने वादी से धोखाधड़ी (Fraud) की है या जानकारी छुपाई (Concealment) है, तो:
- समय सीमा तब से शुरू होगी जब वादी को धोखाधड़ी के बारे में जानकारी मिलेगी।
महत्वपूर्ण केस:
- Parimal v. Veena (AIR 2011 SC 1150):
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी का पता चलते ही नई समय सीमा लागू होगी।
5. धारा 12 - समय की गणना (Computation of Period)
- मुकदमा दायर करने के अंतिम दिन को समय सीमा में शामिल नहीं किया जाएगा।
- यदि न्यायालय बंद है, तो अगला कार्य दिवस (Next Working Day) गिना जाएगा।
महत्वपूर्ण केस:
- Hukumdev Narain v. Lalit Narain (AIR 1974 SC 480):
अदालत ने कहा कि समय सीमा की गणना में छुट्टियों को ध्यान में रखा जाएगा।
विशेष कारण:
- प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster): जैसे बाढ़, भूकंप, या महामारी के कारण देरी।
- सार्वजनिक विरोध या हड़ताल (Public Disturbance or Strike): यदि अदालत तक पहुंचना संभव न हो।
- कानूनी सलाह में देरी (Delay due to Legal Advice): वकील की गलती के कारण समय सीमा चूकी गई हो।
निष्कर्ष:
मर्यादा अधिनियम का उद्देश्य समय पर न्याय दिलाना है, लेकिन यदि वादी के पास पर्याप्त कारण (Sufficient Cause) है, तो उसे देरी के लिए माफी दी जा सकती है। धारा 5, 6, 12, 14, और 17 इसके लिए महत्वपूर्ण प्रावधान हैं।
महत्वपूर्ण बात:
- वादी को कारण साबित करना होगा।
- अदालत का निर्णय न्याय और निष्पक्षता पर आधारित होगा।
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