ग्वाली बुधन्ना बनाम आयकर आयुक्त, मैसूर
संदर्भ:- AIR 1966 SC 1523
मामला किस बारे में है?
विषय:-
यह मामला आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 3 और धारा 25(अ)(1) से जुड़ा है। इसमें यह तय किया गया कि संयुक्त हिंदू परिवार (HUF) क्या होता है और इस पर टैक्स कैसे लगेगा।
मामले के मुख्य तथ्य [Facts Of The Case]:-
1. बुधन्ना अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी, दो अविवाहित बेटियाँ और एक दत्तक पुत्र थे। यह परिवार संयुक्त हिंदू परिवार (HUF) था।
2. 9 जुलाई 1952 को बुधन्ना की मृत्यु हो गई। उसकी आय पर पहले से ही टैक्स लगाया जा चुका था।
3. 1951-52 में आयकर अधिकारी ने बुधन्ना की 1950-51 की आय को संयुक्त हिंदू परिवार की आय न मानकर, इसे ग्वाली बुधन्ना ऑयल मिल्स, रायचूर के नाम से कर निर्धारण कर दिया।
मामले की सुनवाई:
1. आयकर अधिकारी →
बुधन्ना के परिवार ने अपील की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।
2. अपीलीय सहायक आयुक्त →
अपील फिर से खारिज हो गई।
3. अपीलीय अधिकरण →
इसने भी फैसला बुधन्ना के खिलाफ दिया।
4. मैसूर उच्च न्यायालय →
इसने फैसला बुधन्ना के पक्ष में दिया।
5. सर्वोच्च न्यायालय →
आयकर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बुधन्ना के पक्ष में दिया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
1. संयुक्त हिंदू परिवार में सिर्फ एक पुरुष सदस्य भी हो, तो भी वह HUF कहलाएगा।
2. संयुक्त परिवार की संपत्ति से होने वाली आय पर टैक्स लगेगा।
3. आयकर अधिनियम में "संयुक्त हिंदू परिवार" की वही परिभाषा है, जो] हिंदू विधि में दी गई है।
4. टैक्स लगाने के लिए परिवार में दो पुरुष सदस्यों का होना जरूरी नहीं है।
मुख्य बातें:
1. संयुक्त हिंदू परिवार में सिर्फ पुरुष सदस्य ही नहीं, बल्कि महिलाएँ भी होती हैं।
2. अगर परिवार की संपत्ति से आय हो रही है, तो उस पर टैक्स लगेगा।
3. संयुक्त हिंदू परिवार को टैक्स के लिए दो पुरुष सदस्यों की जरूरत नहीं होती।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले भी "कल्याणजी बिट्ठलदास बनाम आयकर आयुक्त (AIR 1937 PC 36)" में स्पष्ट किया जा चुका है।
निष्कर्ष:-
यह मामला संयुक्त हिंदू परिवार और टैक्स कानून को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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