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समुचित सरकार (Appropriate Government RTI in Hindi) की नियम बनाने की शक्ति. ii) निगरानी एवं रिपोर्ट तैयार करना (Monitoring and Reporting under RTI)

Unit -5


समुचित सरकार (Appropriate Government RTI in Hindi) की नियम बनाने की शक्ति. ii) निगरानी एवं रिपोर्ट तैयार करना (Monitoring and Reporting under RTI)



इकाई - V (Unit - V)

(i) समुचित सरकार (Appropriate Government) की नियम बनाने की शक्ति

1. समुचित सरकार का मतलब क्या है?

📌 बहुत ही आसान भाषा में समझें:
समुचित सरकार का मतलब वह सरकार जो किसी सरकारी विभाग, कार्यालय या संस्था के संचालन की जिम्मेदार हो।

👉 RTI अधिनियम, 2005 (Section 2(a)) में "समुचित सरकार" दो प्रकार की होती है:
1️⃣ केंद्र सरकार (Central Government) - यदि कोई सरकारी विभाग या संस्था केंद्र सरकार के अधीन आती है, तो उसके लिए नियम बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को होगा।
2️⃣ राज्य सरकार (State Government) - यदि कोई सरकारी विभाग या संस्था राज्य सरकार के अधीन आती है, तो उसके लिए नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार को होगा।

📌 उदाहरण:
रेलवे, भारतीय डाक (Post Office), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) आदि केंद्र सरकार के अधीन आते हैं, इसलिए इनके लिए नियम केंद्र सरकार बनाएगी।
राज्य पुलिस, नगर निगम, ग्राम पंचायत आदि राज्य सरकार के अधीन आते हैं, इसलिए इनके लिए नियम राज्य सरकार बनाएगी।


2. समुचित सरकार की नियम बनाने की शक्ति (Power to Make Rules)

📜 धारा 27 (Section 27) - केंद्र और राज्य सरकारों की नियम बनाने की शक्ति
✔ केंद्र और राज्य सरकारें RTI अधिनियम को लागू करने के लिए नियम बना सकती हैं।
✔ ये नियम RTI के सही उपयोग, सूचना देने की प्रक्रिया, शुल्क (Fees), अपील की प्रक्रिया आदि से जुड़े हो सकते हैं।

📌 उदाहरण:
✔ केंद्र सरकार यह नियम बना सकती है कि RTI आवेदन के लिए 10 रुपये का शुल्क (Fee) लगेगा।
✔ राज्य सरकार यह नियम बना सकती है कि कोई व्यक्ति RTI आवेदन ऑनलाइन या डाक द्वारा भेज सकता है।


3. नियम बनाने के प्रमुख विषय (Key Areas for Rule-Making)

समुचित सरकार निम्नलिखित विषयों पर नियम बना सकती है:
RTI आवेदन की प्रक्रिया - आवेदन लिखित होगा या ऑनलाइन स्वीकार किया जाएगा?
शुल्क (Fees) का निर्धारण - आवेदन करने की फीस कितनी होगी?
उत्तर देने की समय-सीमा - सूचना देने में कितना समय लगेगा?
अपील की प्रक्रिया - अगर सूचना नहीं मिली तो अपील कहां की जाएगी?

📌 केस लॉ (Case Law) - "पीयूसीएल बनाम भारत सरकार (2007)"
✔ इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें RTI की प्रभावी कार्यप्रणाली के लिए नियम बना सकती हैं, लेकिन वे RTI अधिनियम की भावना के खिलाफ नहीं होने चाहिए।


(ii) निगरानी एवं रिपोर्ट तैयार करना (Monitoring and Reporting under RTI)

1. निगरानी (Monitoring) क्या होती है?

📌 निगरानी का मतलब है यह देखना कि RTI अधिनियम सही से लागू हो रहा है या नहीं।

✔ सूचना आयोग (Information Commission) यह देखता है कि सरकारी विभाग सही से सूचना दे रहे हैं या नहीं।
✔ आयोग यह भी देखता है कि कौन से विभाग सबसे ज्यादा RTI आवेदन को खारिज कर रहे हैं।

📌 उदाहरण:
👉 अगर कोई सरकारी विभाग हर बार RTI आवेदन को खारिज कर रहा है, तो सूचना आयोग उस पर कार्रवाई कर सकता है।

📜 धारा 25 (Section 25) - RTI अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी
✔ हर साल सरकार को RTI अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा करनी होती है।
✔ केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों को यह देखना होता है कि RTI के तहत दी जाने वाली जानकारी में पारदर्शिता बनी हुई है या नहीं।


2. रिपोर्ट तैयार करना (Reporting)

✔ हर साल सूचना आयोग (Information Commission) को एक रिपोर्ट तैयार करनी होती है।
✔ यह रिपोर्ट केंद्र सरकार या राज्य सरकार को दी जाती है।
✔ इसमें RTI के कार्यान्वयन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें होती हैं, जैसे:

  • कुल कितने RTI आवेदन प्राप्त हुए?
  • कितने आवेदन स्वीकार किए गए और कितने खारिज हुए?
  • किस विभाग ने सबसे ज्यादा RTI को अस्वीकार किया?
  • कितने मामलों में अपील हुई और कितनों में सूचना नहीं दी गई?

📌 उदाहरण:
👉 अगर किसी राज्य में 1 लाख RTI आवेदन आए और उनमें से 50,000 को खारिज कर दिया गया, तो रिपोर्ट में यह बताया जाएगा कि क्यों इतनी ज्यादा RTI को खारिज किया गया और कौन से विभाग सबसे ज्यादा अपील का सामना कर रहे हैं।

📜 धारा 25(3) - रिपोर्ट में क्या शामिल होगा?
✔ कितने आवेदन स्वीकार और अस्वीकार किए गए।
✔ किस विभाग ने सबसे ज्यादा RTI को रोका।
✔ सूचना न देने के कारण क्या थे?
✔ सूचना देने में हुई देरी की वजह क्या थी?


3. निगरानी और रिपोर्टिंग का महत्व

✔ इससे पता चलता है कि RTI सही से लागू हो रहा है या नहीं।
✔ यह सरकारी पारदर्शिता (Government Transparency) और जवाबदेही (Accountability) को मजबूत करता है।
✔ यह नागरिकों को उनके सूचना के अधिकार (Right to Information) का सही उपयोग करने में मदद करता है।

📌 केस लॉ (Case Law) - "सुभाष चंद्र अग्रवाल बनाम भारत सरकार (2019)"
✔ इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि RTI अधिनियम की निगरानी और रिपोर्टिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे सरकारी पारदर्शिता बनी रहती है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

समुचित सरकार (Appropriate Government) को RTI को लागू करने के लिए नियम बनाने की शक्ति धारा 27 में दी गई है।
✔ ये नियम आवेदन की प्रक्रिया, फीस, अपील प्रक्रिया आदि से जुड़े हो सकते हैं।
सूचना आयोग निगरानी (Monitoring) करता है और हर साल एक रिपोर्ट तैयार करता है।
✔ यह रिपोर्ट RTI के सही कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है और पारदर्शिता बनाए रखती है।
✔ सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि RTI को सही तरीके से लागू करने के लिए निगरानी और रिपोर्टिंग अनिवार्य है।

📌 संक्षेप में:
👉 RTI अधिनियम को सफल बनाने के लिए सरकार को प्रभावी नियम बनाने होंगे और सूचना आयोग को लगातार निगरानी करनी होगी।

👉 अगर आपको और जानकारी चाहिए, तो बताइए! 😊


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